Utkarsh Pandey   (उत्कर्ष पांडेय)
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लोकः समस्तः सुखिनो भवन्तु ।
आस्तिक भी हूँ नास्तिक भी, पर जो भी हूँ वास्तविक हूँ ।
Joined 18 July 2021


लोकः समस्तः सुखिनो भवन्तु ।
आस्तिक भी हूँ नास्तिक भी, पर जो भी हूँ वास्तविक हूँ ।
Joined 18 July 2021
7 JAN 2022 AT 22:07

सर्द हवाओं में घूम रहा हूं ओस की बूँद बंकर,
एक सवाल की तलाश में दरबदर.

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28 JUL 2021 AT 17:21

लोग कहते है उस बेवफा ने बर्बाद किया तुमको,
मैं कहता हूँ, मैं खुश हूँ की उस बेवफा ने आज़ाद किया हमको.

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24 JUL 2021 AT 10:20

आज मेरा मन व्याकुल है...

एक शोर मचा है इस दिल में,
क्यों होड़ मचा है इस दिल में,
वो दर्पण में दिख जाती है,
वो इस दिल से क्यों नहीं जाती है,
इक लम्हा वो रुक जाती है,
वो फिर से वापस आती है,
वो जब भी वापस आती है,
इक लम्हा वो रुक जाती है,
एक शोर मचा है इस दिल में,
क्यों होड़ मचा है इस दिल में.

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22 JUL 2021 AT 20:06

इस दिल को तोड़ कर भी तुम इसमें राज करते हो,
हमने कल देखा था तुम्हें, तुम आज भी प्रयागराज रहते हो.

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21 JUL 2021 AT 14:11

तू प्रयागराज सी है सुंदर, संगम सी तू लहराती है,
प्रयागराज के नाम के जैसे, तू क्यों बदल जाती है.

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19 JUL 2021 AT 19:33

पापा आपकी एक उंगली को पकड़ के चलना मैंने सीखा था,
मुझे मोहब्बत है मेरी उँगलियों से, ना जाने कोनसी ऊँगली पकड़ कर मैंने चलना सीखा था,
अगर मै रहा भटक भी जाऊं तो मुझे फिर से राह दिखा देना,
आपकी ज़रुरत है मुझे फिर से मुझे समझा देना,
आपके ही नाम से जाना जाता हूं, इससे बड़ी मेरी कोई पहचान नहीं,
मां बाप से बड़ा इस दुनिया में कोई और दूसरा भगवान नहीं.

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