हम कभी अपनों से अदावत नहीं करते और जब करते हैं मोहब्बत तो सिर्फ मोहब्बत करते हैं, उसमें कभी बग़ावत नहीं करते लेकिन बात अगर हमारी इज्ज़त पर आ जाए तो तोड़ देते हैं हम गुरूर भी; बाकी तहज़ीब वाले शरीफ लोग हैं हम हम कभी किसी से किसी चीज़ के लिए शिक़ायत नहीं करतें...!!
इत्र है "कन्नौज" का तो "कानपुर" सा "भौकाल" है "लखनऊ" की "तहजीब" है तो "बागी बलिया" एकदम "बवाल" है, "संस्कृति" का "संगम" तो "प्रयागराज" बहुत ही "विशाल" है; दिखाने पर महज झा यहां हो जाता बात-बात पर "बवाल" है; और हां भैया हम आते हैं "बागी बलिया" "उत्तर प्रदेश" से जिस "धारा" के "रक्षक" स्वयं "कालों के काल महाकाल" है...!!
अपने सर पर हम पगड़ी का शौक रखते हैं हमारे रूतबे से बड़े-बड़े लोग भी खौफ रखते हैं, तर्क और कुतर्क हम दोनों ही अपने जेब में लेकर चलते हैं; और अपनी मुसीबत में भी हम खिलखिला कर हंसते हैं, और हम अपनों के लिए मोहब्बत का पैगाम लेकर चलते हैं; बाकी नाम हमारा Bãgî Bõy Ûpēndãr है और हम Bagi ballia में रहते हैं...!!
एक न एक दिन पड़ ही जाएगी मेरे प्यार में वो आज देखी थीं यार बीच बाजार में वो; मेरी आंखें देखते रह गई उसकी ओर बहुत ही सुंदर दिख रही थी यार सूट सलवार में वो...!!
जब mausam खराब हो तो barish की बूंदे भी जमीन पर tap tap करती है, तू मुझसे ही नहीं पता नहीं कितनों से Raat में गपशप करती है; वो तो मैं हूं जो तुम्हारे alava किसी से baat तक नहीं करना चाहता, वर्ना तुम्हारी saheliyon के साथ-साथ 36 और भी ladkiyan मुझे WhatsApp करती है...!!
करो कृपा हम पर महारानी कष्ट हमारे सारे हर लो, जीवन बन जाएं एक गुलशन मां ऐसा कोई हमको भी वर दो; रहे तुम्हारी सेवा में मां हमेशा तत्पर ऐसा कोई हमको भी वरदान ही दे दो...!!
हे मां दुर्गा जगत जननी मां शेरावाली आ जाओ अब मां होकर सिंह सवार इस मतलबी दुनिया में बहुत हो गए हैं, पापी दुष्ट राक्षसों की भरमार हे अष्टभुजा धारी मां अंबे कर दो इस नवरात्रि कुछ ऐसा चमत्कार; नष्ट हो जाएं दानव हो जाए इन सब का विनाश...!!
स्वीकार कर ले मां अंबे भवानी मुझे भी अपने शरण में, दूर कर देना मां हर एक बांधा आए जो मेरे जीवन में; कर माफ मेरी सारी गलतियां मां बुला ले मुझे भी अपने शरण में, दे दे अपनी छत्रछाया मां खेलूं मैं हमेशा तेरी ही शरण में...!!
चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं :- Jai Maa Durga 🙏🙏🙏
"रामरेखा घाट" "बक्सर" "मां गंगा" के तट पर स्थित एक "ऐतिहासिक" और "आध्यात्मिक" शहर है "बक्सर" जिसकी फिजाओं में अनुराग की एक अलग ही खुशबू है, और जिसकी गलियों में "सुकून" का एक अलग ही एहसास है; "महर्षि विश्वामित्र" की "तपोस्थली" "बक्सर" जहां मेरे प्रभु "श्री राम" और "लक्ष्मण" की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा संपन्न हुई, यहां के कड़कड़ में झलक है "संस्कृतियों" की और "संचार" है मां "गंगा" के पावन "लहरों" की "अहिल्या" का विश्वास है "बक्सर" नित प्रति प्रेम आभास है "बक्सर" सबको अपना कर लेने का "अपनेपन" का "एहसास" है "बक्सर"...!!