कोई बेचैन है तड़प रहा है किसी के बिन , पर उसे देखो कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता । कभी महसूस ही नहीं की उसने प्यार की जलन , करे ही क्यों, आख़िर मोहब्बत का ज़िम्मा उसने थोड़ी ना ले रखा था ।
दिल मानने को तैयार नहीं की साथ बस इतना ही था , टूट गई है हर एक आस फिर भी क्यों रहता है इंतज़ार, इश्क के हर सितम हमनें सहे फिर भी दिल से जा नहीं रही उसकी याद , क्या बस यहीं था मोहब्बत का अंजाम , इंतज़ार,इंतज़ार और बस इंतज़ार।
हैं मुनकिन नहीं तुम्हारे लिए थोड़ा वक्त दे पाना । तो बात बात पर क्या लड़ना । हैं तुमको मेरी कदर नहीं,होगी एक दिन रूकसदी के बाद । तो बात बात पर क्या लड़ना ।
तन्हाइयों में मुझे ,हर्फ हर्फ तू दिखे तेरे नाम से गुज़र कर मेरी हर सांस यूं चले रूह में समा गए हो ऐसे ए जानेजाना, के मार भी जाऊं तो भी मेरी रूह को गुज़र न मिले ।।