रात की महफिल में.. साद कहा मिलता है..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..
तसव्वुफ़ है छायी दिल में, बैराग है तरन्नुम में..
एक वो ही समाई है मेरे ख्वाबों की अंजुमन में..
चिलमन था वो उजड़ा..आबाद कहाँ मिलता है..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..
ना कुदरत भी रोक पाई.. वक्त की बेवफाई..
ना मुझसे सही जाये.. हाय तेरी ये जुदाई..
जो असर था इश्क पहले वो बाद कहाँ मिलता हैं..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..
जहाँ लगते है रोज पहरे,दफन होते है राज गहरे..
कहने को कैदखाना, जो सराय उनकी ठहरे..
कहने को चाँद जमीं पर एक वहीं निकलता हैं..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद वहीं मिलता हैं..
रात की महफिल में.. साद कहा मिलता है..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..
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