Umesh Gattani   (साहिब)
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Joined 25 July 2017


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26 JUL 2021 AT 8:50

आशिकी का ये सबब की सांसे महकती है इस मिट्टी से...
घर बूढी आँखें सहम जाती है मेरे नाम की एक चिट्ठी से...
(एक फौजी)

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11 JUL 2021 AT 20:32

बुनियाद गुजारिश करें शाखों से रहनुमाई की...
निकम्मी नस्लों से अजदाद का कुछ हश्र यूँ होता है...

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8 JUL 2021 AT 22:27

कलम कागजों से और कहे भी तो क्या...
राहें भी वही है हमसफर भी वही....

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8 JUL 2021 AT 19:55

खिजां का कोई कसूर नहीं,दिल-ए-गम कहें बहारों से क्या....?
मुतमईन है रात उधार की रौशनी से तो 'साहिब' हम कहे सितारों से क्या...?
उसूलों का वास्ता देकर जिन्हें रोक लेते थे बेशर्मी से...
आज तलबगार ही नहीं वो समझाइश के तो आँखें नम कहें इशारों से क्या...?

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5 JUL 2021 AT 20:23

अंगारे सुलग रहे राख में दबे.. दिल जल रहा बारिश में...
जीने को 'साहिब' चंद पल मिले वो भी बीत गये गुजारिश में...

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4 JUL 2021 AT 22:08

वो कह रहे मोहब्बत करनी है लेकिन दायरा उसका हद में हो...
अब तुफां से क्या कहे 'साहिब' कि तुम बारिश की जद में हो...

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29 JUN 2021 AT 21:59

हजार गुल इस चिलमन में,भँवरों को दरीचे अता होंगे...
जिसे इंंसान कहते हो तुम उसे मोहब्बत के उसूल पता होंगे...

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28 JUN 2021 AT 21:34

दिल मचलता है दिन ढलता है वक्त ठहरता नहीं...
फिर क्यूं उस महताब के इंतजार में ये आग जलाते हो...
वो समझना नहीं चाहता गर दिल-ए-साहिब को...
फिर क्यूँ इस हुजरें में उसके नाम का चराग जलाते हो...

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26 JUN 2021 AT 18:11

गम आँसू दरियादिली... आफत का पिंजरा छोटा सा...
खाना,खुराकी और भूख गहरी,आँखों पे पहरा छोटा सा...

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24 JUN 2021 AT 21:09

रात की महफिल में.. साद कहा मिलता है..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..

तसव्वुफ़ है छायी दिल में, बैराग है तरन्नुम में..
एक वो ही समाई है मेरे ख्वाबों की अंजुमन में..
चिलमन था वो उजड़ा..आबाद कहाँ मिलता है..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..

ना कुदरत भी रोक पाई.. वक्त की बेवफाई..
ना मुझसे सही जाये.. हाय तेरी ये जुदाई..
जो असर था इश्क पहले वो बाद कहाँ मिलता हैं..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..

जहाँ लगते है रोज पहरे,दफन होते है राज गहरे..
कहने को कैदखाना, जो सराय उनकी ठहरे..
कहने को चाँद जमीं पर एक वहीं निकलता हैं..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद वहीं मिलता हैं..

रात की महफिल में.. साद कहा मिलता है..
सितारें हजार लेकिन वो चाँद कहाँ मिलता हैं..

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