मेरे प्रियतम की वो पहचान ना पूछो
मेरे दिल की खूबसूरत पहचान ना पूछो ,
शब्दों में कहाँ तक पिरोया जाए उसके अभिव्यक्ति की शान ना पूछो,
मैं क्या लिखूं उसे कि एहसासों का शब्दों में कोई बखान ना पूछो।
इस दिल से धड़कन की आवाज़ ना पूछो ,
प्रियतम के चंचल नयन अंदाज ना पूछो ,
सुमधुर वाणी, कोमल होंठों पर आए अल्फाज़ ना पूछो।
अधरों पर मंद हँसी, मनमोहन मुस्कान ना पूछो ,
सादगी से सज़ा, खूबसूरती से उसका ज्ञान ना पूछो ,
हर घड़ी ख़ुद में उलझा, सुलझी डोरी से उसका नाम ना पूछो।
हाय! रूठने से चेहरे पर नाराज़गी की बहार ना पूछो,
चुप्पी साधे खड़ा हो जब कुर्बत के मौके हज़ार ना पूछो,
तमाम सवालों से परेशान, दिल की बात हर बार ना पूछो।
हर दिन उसकी बाँहों में होती सुबह का अक्सर ख्वाब़ ना पूछो,
एहसासों की अनुभूति में इश्क, मोहब्बत के जबाव ना पूछो,
नजरें उससे मिल जाती, तब मेरे होते गाल गुलाब ना पूछो।
मेरे प्रियतम की वो पहचान ना पूछो...
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