चलो अब धूप को साया करे हम,
कभी ख़्वाबों में मिल जाया करे हम,
मेरा ही रास्ता देखा करो तुम,
तेरे ही वास्ते आया करे हम,
किसी भी बात पर लड़ने लगो तुम,
कोई भी बात समझाया करे हम
मेरी यादों का पौधा घर हो तेरे,
मरे भी तो तुझे छाया करे हम,
मेरी ये उम्र अब जितनी बची है,
आहिस्ता-आहिस्ता ज़ाया करे हम,
लिखे ग़ज़लें तू मुझ पर तंज़ कसके,
उन्ही पर गौर फरमाया करे हम,
मेरे हाथों पे तेरा नाम लिख कर,
तेरे हाथों से मिटवाया करे हम,
ना उम्मीदें ना झगड़ा कोई भी हो,
यूँही जल्दी से सो जाया करे हम,
भरोसा गहरी सी आँखों का करके,
तेरी बातो में आ जाया करे हम।
- परीक्षित
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