नफ़रत अज्ञानता हैं घृणा मानसिक रोग हैं! -
नफ़रत अज्ञानता हैं घृणा मानसिक रोग हैं!
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कुछ वक्त बाद मोहब्बत अफ़सोस लगती हैंकिसे पता खुशी भी ख़ामोश लगती हैं!शराबी शराब से कितना भी गीला गला करले कुछ वक्त बाद पानी की प्यास लगती हैं! -
कुछ वक्त बाद मोहब्बत अफ़सोस लगती हैंकिसे पता खुशी भी ख़ामोश लगती हैं!शराबी शराब से कितना भी गीला गला करले कुछ वक्त बाद पानी की प्यास लगती हैं!
तर्क को तर्क चाहिएबहस को मूर्ख चाहिएविचारों की लड़ाई में विचारों को फ़र्क चहिए औरत को सिंहासन मिला सुझाव में मर्द चाहिए लोग पहचानते हैं मुझेमुस्कुराने वाला दर्द चाहिए इश्क़ में यूं मर जाए "तरुण"कि आह भी ना निकले वो मर्ज़ चाहिए -
तर्क को तर्क चाहिएबहस को मूर्ख चाहिएविचारों की लड़ाई में विचारों को फ़र्क चहिए औरत को सिंहासन मिला सुझाव में मर्द चाहिए लोग पहचानते हैं मुझेमुस्कुराने वाला दर्द चाहिए इश्क़ में यूं मर जाए "तरुण"कि आह भी ना निकले वो मर्ज़ चाहिए
ना हो अंधेरा तो चांद सितारें की क्या औकात साय से डरता हैं इंसान तो चेहरे की क्या औकात बुरा हूं, तो बुराई बताओ मुझे फिर वही बात तो मशवरे की क्या औकात इश्क़ करते हैं हम ज़ालिम को झेलकर ना हो हम फिर नखरे की क्या औकात -
ना हो अंधेरा तो चांद सितारें की क्या औकात साय से डरता हैं इंसान तो चेहरे की क्या औकात बुरा हूं, तो बुराई बताओ मुझे फिर वही बात तो मशवरे की क्या औकात इश्क़ करते हैं हम ज़ालिम को झेलकर ना हो हम फिर नखरे की क्या औकात
तमाशा हो गया हुं, तमाशा होते होतेकि जैसे थक गया हुं, दुआ करते करतेभीड़ में रहता हूं, मेज़बान बनकरमैं रो रहा हूं मुस्कुराते मुस्कुराते!बेशक चाहते हैं मेरे जैसा बनना वोक्या सोचते हैं वो सोचते सोचते -
तमाशा हो गया हुं, तमाशा होते होतेकि जैसे थक गया हुं, दुआ करते करतेभीड़ में रहता हूं, मेज़बान बनकरमैं रो रहा हूं मुस्कुराते मुस्कुराते!बेशक चाहते हैं मेरे जैसा बनना वोक्या सोचते हैं वो सोचते सोचते
कोई तो होगा जो सुनेगा हमें!वही चहिए जो चाहेगा हमें!दफना कर कौन आएगा कब्र पेलेन देन हुआ तो याद करेगा हमें!नींद अच्छी आती हैं, रात भर कौन हैं जो सताएगा हमें उसकी फितरत कुछ ऐसी हैंकि उसका चुप रहना ही चुभेगा हमे!दिल का बोझ दिल तक रख "तरुण"उतारने वाला ही रुलाएगा हमें! -
कोई तो होगा जो सुनेगा हमें!वही चहिए जो चाहेगा हमें!दफना कर कौन आएगा कब्र पेलेन देन हुआ तो याद करेगा हमें!नींद अच्छी आती हैं, रात भर कौन हैं जो सताएगा हमें उसकी फितरत कुछ ऐसी हैंकि उसका चुप रहना ही चुभेगा हमे!दिल का बोझ दिल तक रख "तरुण"उतारने वाला ही रुलाएगा हमें!
संविधान से बढ़कर संविधान हैंयही मज़हब यही पहचान हैं! -
संविधान से बढ़कर संविधान हैंयही मज़हब यही पहचान हैं!
मज़हब को दूर रखो तो अच्छा हैं!फिर देख हर इंसान अच्छा हैं!मज़हब के बाद मज़हब ही हैं ज़माने मेंहर दौर में पाखंड अच्छा हैं!कभी सवाल तो कर अपने खुदा से हर बात पे खुदा अच्छा हैंकिसी ने वक्त बदला, किसी को वक्त ने बहराल, अच्छे वक्त में खुदा अच्छा हैंमेरे मन से दूर रहना ए–सरफिरे "तरुण"तेरी शायरी में कौन अच्छा हैं! -
मज़हब को दूर रखो तो अच्छा हैं!फिर देख हर इंसान अच्छा हैं!मज़हब के बाद मज़हब ही हैं ज़माने मेंहर दौर में पाखंड अच्छा हैं!कभी सवाल तो कर अपने खुदा से हर बात पे खुदा अच्छा हैंकिसी ने वक्त बदला, किसी को वक्त ने बहराल, अच्छे वक्त में खुदा अच्छा हैंमेरे मन से दूर रहना ए–सरफिरे "तरुण"तेरी शायरी में कौन अच्छा हैं!
एक ही जवाब पे फिर सवाल क्या करनावो जा रहा हैं, जाने दो मलाल क्या करना!किसी को लुभाओगे कितना महफ़िल मेंकि बात बात पे कमाल क्या करनारंग चढ़ा हैं या उतरा किसी के आने से पूछ कर हाल क्या करना! -
एक ही जवाब पे फिर सवाल क्या करनावो जा रहा हैं, जाने दो मलाल क्या करना!किसी को लुभाओगे कितना महफ़िल मेंकि बात बात पे कमाल क्या करनारंग चढ़ा हैं या उतरा किसी के आने से पूछ कर हाल क्या करना!
तन्हाई अंधेरों से बाहर रोशनी में मुस्कुराती हैंक्या ख़ाक मुस्कुराने से ज़िन्दगी मुस्कुराती हैं! -
तन्हाई अंधेरों से बाहर रोशनी में मुस्कुराती हैंक्या ख़ाक मुस्कुराने से ज़िन्दगी मुस्कुराती हैं!