हो ही नही इस काबिल के तुमसे कोई शिकायत की जाएं
इस काबिल भी तुम न बन पाएं के तुमसे कोई शिकायत की जाएं,
प्रीत हटाओ तुम तुमसे मेरी, आज बस दोस्ती की बात की जाएं।
बन पाएं क्या तुम कभी दोस्त मेरे?
या फ़िर सिर्फ दिखावे के दोस्ती यारी की बात की जाएं।
देते रहते हो जो दुःख तुम मुझको,
आदत बन चुकी है तुम्हारी या फिर सोच समझकर दुःख देते रहने की बात की जाएं।
मिल गई थी मेरी दोस्ती तुम्हे कुछ ज्यादा आसानी से,
मुश्किलें जिनके हिस्से आई क्यूं ना उन हिस्सों की बात की जाएं।
समझ न पाएं तुम तो मुझे ही कभी
क्यूं तुमसे फिर इस एकतरफे दोस्ती को समझने की बात की जाएं?
हुई थी जो कहानी शुरू हमारी दोस्ती के साथ,
क्यूं ना अब उस कहानी के अंत की बात की जाएं?
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