क्यों बेटी! रोती भी हो तुम? .................✍️विद्यालय, बच्चियाँ एवं शिक्षक (उदास बच्ची)✍️
हमें तो बचपन में शर्म आती थी!
चलो अब अपना आँसू पोंछो,
हमें तो स्कूल बेशर्म बताती थी! ✍️...(१)
आप तो बड़ी अच्छी बच्ची हो न?
थोड़ी नटखट पर सच्ची हो न?
हँसोगी तो हम और माहौल अपना
जगमगाएगा, अब दुबारा न रोना! ✍️...(२)
क्यूँ आपके मुखड़े पे तबस्सुम
देर से न नज़र आज आ रही? ✨
कोई बात है क्या जो कुछ ऐसे
रोकर हमें यूँ अवगत करा रहीं? ✍️...(३)
देखो ज़रा उन मित्रों को!
सब खिलखिलाते कैसे हैं!
माहौल को भर के खुशी से
पिछला गम भुलाते कैसे हैं! ✍️...(४)
वादा करो कि आज के बाद
समस्याओं पर रोना नहीं है।
बताना है सुलझाने! न उलझ यूँ
उलझन में खुद को डुबोना नहीं है। ✍️...(५)
लगता है अब! नन्ही परी को बात समझ
आई है, जो हँसी उनके चेहरे की बताई है।
उम्मीद है एवं रहेगी हे नन्ही शिष्या! क्या
खूब शर्म से शीश झुका उम्मीद जताई है। ✍️...(६)
परवरदिगार को गुस्सा आता है
बच्चों को रोते देखकर, पता होगा?
चलो बेटी अब जाओ, खेलो तो
सही, नहीं तो माहौल खता होगा! ✍️...(७) ✍️...(चित्र देखकर लिखित एक काल्पनिक रचना)👣👣
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