QUOTES ON #बच्ची

#बच्ची quotes

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7 JAN 2019 AT 19:26

कर हँसी-ठिठौली बचपना वो सयानी भी दिखती है,

मेरी माँ भी कभी-कभी बिल्कुल बच्ची बन जाती है।।

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4 JUN 2018 AT 15:56


गली से ग़ायब हो गयी है,दो साल की बच्ची,

...लगता है फ़िर से कहीं, गैंगरेप हुआ है।

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24 SEP 2017 AT 11:15

उसको मिला था पहला इनाम,
माँ पर निबंध लिखने के लिए.......!
लेकिन उसका दिल ही जानता हैं,
बिन माँ की बच्ची....
कैसे उम्र से पहले बड़ी हो जाती हैं....!

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29 SEP 2018 AT 1:58

कुछ इस अदा से नखरे दिखाती है वो
हर कभी छोटी बच्ची बन जाती है वो

संभाले नहीं संभलते नखरे उसके तब
जब तरह-तरह के स्वांग दिखाती है वो

कभी बोलती है यूँ थोड़ा-सा तुतलाकर
कभी मुँह फुला चुप-सी हो जाती है वो

कभी हँसती है होंठ और आँखें मीच कर
कभी पूरे दाँत फाड़ खिलखिलाती है वो

कभी उँगलियों से गुदगुदी कर हँसाती है
कभी अजीब-अजीब चेहरे बनाती है वो

कभी बस यूँ बे-धड़क हो आँख मारती है
कभी शर्म से नज़रें भी नहीं मिलती है वो

करती है ये सब और मुझे बड़ा सताती है वो
कुछ यूँ अपना 'प्यार और हक' जताती है वो

- साकेत गर्ग 'सागा'

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21 APR 2018 AT 7:41

मुबारक हो इंसां कि इस विकास की दौर में
तुमने भी खूब तरक्की कर ली
अबला औरतों और मासूमों को छोड़ अब
बच्चियों की अस्मत पकड़ ली

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9 JUL 2020 AT 19:04

सूप—
बांस की दौरी
हाथ का पंखा
कथरी गुदड़ी....

कोहबर के गेरूऐ रंग
दरवाजे से
लौटते हैं... मुझमें
लौटती है मुझमे———माँ

मै... किस कोने—
किस चीज में
छोड़ जाऊँ स्वयं को..
अपने बच्ची के लिए..... ???

कविता

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27 JUN 2020 AT 10:27

क्यों बेटी! रोती भी हो तुम? .................✍️विद्यालय, बच्चियाँ एवं शिक्षक (उदास बच्ची)✍️
हमें तो बचपन में शर्म आती थी!
चलो अब अपना आँसू पोंछो,
हमें तो स्कूल बेशर्म बताती थी! ✍️...(१)

आप तो बड़ी अच्छी बच्ची हो न?
थोड़ी नटखट पर सच्ची हो न?
हँसोगी तो हम और माहौल अपना
जगमगाएगा, अब दुबारा न रोना! ✍️...(२)

क्यूँ आपके मुखड़े पे तबस्सुम
देर से न नज़र आज आ रही? ✨
कोई बात है क्या जो कुछ ऐसे
रोकर हमें यूँ अवगत करा रहीं? ✍️...(३)

देखो ज़रा उन मित्रों को!
सब खिलखिलाते कैसे हैं!
माहौल को भर के खुशी से
पिछला गम भुलाते कैसे हैं! ✍️...(४)

वादा करो कि आज के बाद
समस्याओं पर रोना नहीं है।
बताना है सुलझाने! न उलझ यूँ
उलझन में खुद को डुबोना नहीं है। ✍️...(५)

लगता है अब! नन्ही परी को बात समझ
आई है, जो हँसी उनके चेहरे की बताई है।
उम्मीद है एवं रहेगी हे नन्ही शिष्या! क्या
खूब शर्म से शीश झुका उम्मीद जताई है। ✍️...(६)

परवरदिगार को गुस्सा आता है
बच्चों को रोते देखकर, पता होगा?
चलो बेटी अब जाओ, खेलो तो
सही, नहीं तो माहौल खता होगा! ✍️...(७) ✍️...(चित्र देखकर लिखित एक काल्पनिक रचना)👣👣

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18 MAY 2019 AT 22:12

गरीब होना भी कितनी बड़ी बीमारी है,
मेहनतकश की भी खाली अलमारी है।
वो धूप में मोड़ पर बैठा जूते बनाता है,
लेकिन हमारी दया तो बस वेटर पाता है।

जो हाथ-पैर होकर भी लाचारी है,
गुलाब बेचती बच्ची दुखियारी है।
उसका हर गुलाब बगीचे से चुन कर आता है,
लेकिन हमें तो गुलदस्ते में नकली ही भाता है।

मात्र 100 रुपये जिसकी दिहाड़ी है,
आत्मसम्मान के कारण वो न बिखारी है।
अरे तू तो करोड़ों दान कर देने वाला दाता है,
ज़रा उसे भी तो देख जिसे खैरात न लुभाता है।

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13 NOV 2017 AT 23:16

तुम अभी बच्ची हो,



चलो रसोई में जाओ।

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9 JAN 2021 AT 13:33

देखो गूंजी है इक किलकारी,
आई है खुशियां
और सपनों की सवारी।
आई सबसे छोटी
और सबसे प्यारी।
उसे सुनना इक कहानी,
एक था कान्हा और राधा प्यारी।
संसार में आई है नई क्यारी।
एक नया जीवन आरंभ हुआ।
बढ़ गई हैं देखो जिम्मेदारी।
अधूरी जिंदगी करेगी वह पूरी।
देखो गूंजी है इक किलकारी।

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