सैलाब लेकर आती है अपने साथ,
मोहब्बत जब भी चढ़ती है परवान, कहते हैं.
हर मोड़ पर ये इम्तेहान लेती है,
और कुछ लोग हैं की वो इसे आसान कहते हैं..
अब सब महबूब मुसाफ़िर हैं, रुकते नहीं दिल में,
उन्हे अब जान नहीं कह सकते, उन्हें मेहमान कहते हैं...
मोहब्बत में मज़ा तब है जब वो दोनों तरफ से हो,
एकतरफा आशिकी में टूट जाता इंसान, कहते हैं....
एक उम्र लगा दी तुमने भी इकरार करने में,
ज़माने वाले तुम्हारी हां को अब एहसान कहते हैं.....
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