QUOTES ON #एहसास_तुम्हारे_होने_का

#एहसास_तुम्हारे_होने_का quotes

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13 SEP 2020 AT 20:55

कभी वो रूठेगा,
तो कभी हम मनाएंगे,
गुस्सा अगर उनको आएगा,
तो चुप हम हो जायेगें,
थोड़ी सी नोंक-झोंक होगी,
लेकिन सब हँस के भुलायेंगे,
कोई मिले तो ऐसा हमकों,
मोहब्बत तो हम भी करना चाहेंगे।।

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19 DEC 2019 AT 16:08

जब सूरज चढ़ कर उतरेगा, जब चँदा फिर चढ़ जाएगा,
रात घनेरी होगी जब सारा जग सो जाएगा,
ख़्वाबों की दुनियाँ में जब पुनः मिलन कर जाएंगे,
कुछ प्यार के किस्से गढ़ना तुम,
कुछ रीत नई लिख जाएंगे हम,

जब सारी कलियाँ सूखेगी, जब सारी दुनियाँ रूठेगी,
जब मिलन असंभव होगा फिर, बन के घटा छा जाएंगे हम,
नभ में प्रीत लिखेंगें हम, इश्क है जीत लिखेंगे हम,
जब बढ़ने लगेगा आना जाना, जब जग देगा फिर से ताना,

धरती अम्बर एक करेंगे चुप चुपके भेंट करेंगे,
शिलालेख लिख जाएंगे, हम शिलालेख बन जाएंगे!

एक नई प्रीत कह जाएंगे हम, यादें अमर कर जाएंगे हम!

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30 JAN 2021 AT 18:27

उनके ख़्वाबों का आलम कुछ ऐसा है
लगता है जैसे पास में कोई लेटा है🙈
बंद पलकों में भी चमक आ जाती सोते में हमारी
वो ख्वाबों में आके रोशन कर जाते थे दुनियां हमारी

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21 JAN 2021 AT 12:12

मासूमियत से भरा चेहरा हर एक ग़म से अंजान
खिलते हुए गुलाब की तरह है उसकी मुस्कान
बातें बड़ी प्यारी सी जैसे शहद सी मिठास
नहीं करती कभी गुस्सा इतनी प्यारी वो इंसान
बात करता हूं उससे जब भूल जाता हूं हर ग़म
लगती है जैसे मेरे हर दर्द की वो है मेरी मेडिसिन

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25 JAN 2021 AT 15:10

बंद आंखों में ख़्वाब तेरे
खुली आंखों में एहसास तेरे
दो पल की अब चाहत किसे
तू उम्र भर रहे साथ मेरे

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14 MAR 2020 AT 15:54



तुम्हारे होने का बस एक एहसास ही काफी है!

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11 DEC 2019 AT 3:56

जरूरी नहीं जिसे चाहो वो मिल ही जाए

उन्हें चाहत पसंद भी तो आनी चाहिए
❤️❤️❤️




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27 JAN 2020 AT 16:28

अब पूछते हो क्या मेरा, वहाँ असर रहा,
खामोश है फिजाँ मेरा, जहाँ सफर रहा!

हवाओं को तो छूट है कहीं भी वो चलें,
मैं धूप था मुंडेर की सो, दर-ब-दर रहा!

जिसकी झलक तमाम उम्र, हमने तलाश की,
वो मौजज़ा भी खुद-ब-खुद, मेरी नज़र रहा!

महफ़िल में सर उठे सभी, की शिरकतें जहाँ,
उसके करम जलाल के, सदके में सर रहा!

आए हैं इस मक़ाम पर कल जाने हों कहाँ,
जब तक नहीं था होश में ,बेफ़िकर रहा!

कुछ बात है न जानें क्यों झुकती नहीं नज़र,
जिसकी गली में सब झुके, मैं बेअसर रहा!

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13 JUL 2019 AT 7:21

जब भी सोचती हूँ
तुम्हे खुद के पास
तो धरती और आसमान की दूरी
लगती है सिर्फ आभास

छूना चाहती हैं तुम्हे
मेरी कल्पनाएं
और बनाती है तुम्हारा प्रतिबिम्ब
अपने ही ख्यालों में

फिर एक दम से टूट जाते हैं सपनें मेरे
शीशे की तरह
बिखर जाते है ख़्वाब
और बचती है सिर्फ याद
देखती हूँ फिर आसमान में
और पाती हूँ खुद को नाकाम
तुम्हारी दुनिया में

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9 JAN 2020 AT 16:31

दिल-ए-मुश्ताक़ को, यूँ झूठा दिलासा दे जाता है,
क़ासिद कभी कभी मुझे ख़ाली लिफ़ाफ़ा दे जाता है!

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