ℝ𝕒𝕛 𝕊𝕠𝕟𝕚   (राज सोनी)
9.6k Followers · 51 Following

read more
Joined 27 October 2019


read more
Joined 27 October 2019

प्रेम प्यार के इस आम चुनाव में दिल का वोट चाहिए,
बहुकोणीय चुनाव हो रहा, बस एक तेरा वोट चाहिए।

प्यार की वादे गारंटी अब संविधान सम्मत हो जायेगी,
प्यार का होगा सभी को कानूनी हक, तेरा वोट चाहिए।

प्रेमियों की होती है एक डरा सहमा सा अलग तबका,
मिलेगा प्यार में उनकोआरक्षण, बस तेरा वोट चाहिए।

प्यार की संसद में होगा प्रेमी जोड़ों को विशेषाधिकार,
इन दो से होगा प्रस्ताव पारित, बस तेरा वोट चाहिए।

लॉर्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली हो चुकी बहुत पुरानी,
प्रेमकहानियां होगी सिलेबस में अब, तेरा वोट चाहिए।

महापुरुषों के नाम पर बहुत हुए जगहों के नामकरण,
अब होंगे प्रेमियों के नाम पर भी बस तेरा वोट चाहिए।

चुनाव चिन्ह है मेरा सीधा सरल सा..दिल का निशान,
लगा देना अपने होठों की मुहर बस तेरा वोट चाहिए।

नोबेल संस्था को लिखूंगा हो प्रेम में नोबेल पुरस्कार,
पहले विजेता हम दोनों ही होगे बस तेरा वोट चाहिए।

मेरा नहीं है किसी से गठबंधन, तुमको यह सनद रहे,
प्यार के बहुमत के लिए बस एक तेरा वोट चाहिए।

तय लक्ष्य प्यार का है "अबकी बार सौ फीसदी पार",
हो जायेगा अब "राज" उस पार, बस तेरा वोट चाहिए।
__राज सोनी

-



_राज सोनी_

-



सात वचन का वादा मेरा सप्तपदी सा हमकदम हो जाऊंगा,
बनेंगे हम एक दूजे के लिए, जीवनपर्यंत साथ हो जाऊंगा।

वचन पहला मन से कहता तेरे आंचल में सदा रहना चाहूंगा,
तुम पहली तुम ही आखरी, ये शाश्वत सत्य कर जाऊंगा।

वचन दूजा तू ही पूजा, मैं प्रेम की अखंड अलख जगाऊंगा,
सांसे कर दूंगा तेरे नाम, मैं प्यार की मिसाल बन जाऊंगा।

वचन तीसरा तेरा आसरा मैं तुम्हे प्यार का प्रतिक बनाऊंगा,
तुमसी हो सब की प्रेम साथी, ये सब को प्रेरित कराऊंगा।

वचन चौथा बने व्यवस्था की शपथ ईश्वर की उठाऊंगा,
रोज रखेंगे एक दूजे का ख्याल वादा मरते दम निभाऊंगा।

वचन पांचवा बांध कलावा, तेरे स्त्रीत्व का आदर निभाऊंगा,
तन मन से तुमको अर्पित, मेरा पुरुषत्व समर्पित कर जाऊंगा।

वचन छठा अर्धांग सी निष्ठा तुम्हे मेरे वाम अंग में बिठाऊंगा,
सिंदूर कंगन पायल से तुम्हे सुहागिन का दर्जा दे जाऊंगा।

वचन सातवां संग कारवां हर तीर्थ पे तुम्हे वामांगी बनाऊंगा
मैं निभाऊंगा पत्निव्रत धर्म, तेरा ताउम्र अर्धांग बन जाऊंगा।

इस जन्म में मिले ना मिले पर सप्तपदी के वचन निभाऊंगा,
बिन फेरे दंपती सदृश्य, मैं तुम्हे मिसेज "राज" कह जाऊंगा। राज सोनी

-



गजल का रूमानी शेर, जैसे महकता कनेर, ये जो तेरा तिल है,
जैसे हो साँझ का तारा, दिल अजीज़ नजारा ये जो तेरा तिल हैं।

गोरे चिकने लाल सुर्ख रुखसार, कर ही दूं मैं अपनी जान वार,
देख के ये मेरा हाल हुआ बेहाल, वजह तेरा गालों पर तिल है।

जैसे गहरी लहराती दरिया, कैसे मैं पहुंचूं नहीं दिखता जरिया,
हिचकोले खाए दिल की कश्ती, गुनाह तेरा कमर का तिल है।

काली गहरी आंखे सुरमेदानी, जादू टोना सी निगाह मस्तानी,
नजरबट्टू पे दिल मेरा अटका, वो जो तेरी आंखों का तिल है।

काली जुल्फों की आवारागर्दी, क्यों करती हो कानों पे बेदर्दी,
अदा जुल्फों को कान के पीछे करना, जो कानों का तिल हैं।

कारी बदरिया से है घनेरे बाल, कांधे पे लहराए जादुई जमाल,
आँचल की कंधे पर मनमानी, वो चुंबक तेरा कंधे का तिल हैं।

गला तेरा पर सांसे है मेरी, इन सांसों के तिल पर जान है मेरी,
देख उसे दिल हो जाता बेकाबू, वो जो तेरा गले का तिल हैं।

ना लो तुम यूँ कातिल अंगड़ाई, न बन तू मेरे दिल पर कसाई,
कैसे थामूं मैं तेरी कलाई, मुकाबले में जो कलाई का तिल है।

चौड़ा भाल, चांद सा चेहरा, बिंदी ऊपर काला तिल का सेहरा,
देती गवाही की तुम हो प्यार में, सबूत तेरा भाल का तिल है।

जान लेवा है तेरी मुस्कान, दिल पर छुरी रख बनती अनजान,
"राज" के दिल पे कत्लेआम का मंजर, गुनाह होठों का तिल है।
– राज सोनी

-





बसंत का आना एक कयामत, प्यार का पुष्प पल्लवित होता है,
हवा बसंती, चंचल चितवन, तब प्रेम में पुरुष बसंत हो जाता है।

भ्रमर बन प्रेयसी पर मंडराए, जेसे वो नवपल्लवित सी कौंपल हो,
देख प्रेयसी का प्रेम पराग, पुरुष पर महुआ का असर हो जाता है।

फाल्गुनी बयार से मदमस्त हो कर भीगी धानी चुनर प्रेयसी की,
सौगात प्रेम का बन कर गुलदस्ता, पुरुष का मन मयूर हो जाता है

ऋतु मधुमास की प्रीत रीत से प्रेयसी पीली सरसों सी बिखरी सी,
सुर्ख गुलाब सी लज्जा कपोलों से पुरुष वसंतवल्लभ हो जाता है।

कुहके कोयल, बहकी तितली, तन–मन हरितामा प्रेयसी की भी,
कच्ची कचनार सी उन्मत प्रिया से पुरुष प्रियवर में बदलता है।।

मन वीणा के तार झृकंत होने लगे प्रेयसी वरदायिनी पुरवाई सी,
बसंत मुहूर्त के प्रेमाक्षर से कर श्रीगणेश, प्रेम विद्यार्थी हो जाता है।

हरित पीत वसनों से लिपटी जेसी प्रेयसी दुल्हन सी श्रृंगारित हुई,
प्रेयसी के मद नयनों के पुष्पबाण से पुरुष ऋतुराज बन जाता है।

अमराई के बौर बौराए जैसे, वैसे तेरे भाल पर प्रेम का हस्ताक्षर हो,
प्रेम मदनोत्सव की दस्तक आहट में ये "राज" बसंत हो जाता है।
– राज सोनी

-



राज सोनी

-



पहन कर तुम कंगन, कर मुझे आलिंगन, मेरा हृदय स्पंदन हो जाए,
दूं मैं होठों से अमृत, करूं स्तुतिव्रत फिर तेरा प्रेम जाग्रत हो जाए।

मेरा तन मन तुम्हे अर्पण, कर दो समर्पण, हिय में पदार्पण हो जाए,
हूं मैं अकेतन,आ जाओ हदय निकेतन की मेरा प्रेम चेतन हो जाए।

ना करो मुझे दापित, है मेरा प्रेम सदा ज्ञापित, प्रेम छापित हो जाए,
अब होगा ये नियम, ना होगा विनियम, प्रेम का अधिनियम हो जाए।

हो मौखिक अनुबंधन, करो प्रबंधन फिर प्रेम का गठबंधन हो जाए।
दे दो तुम अधिकार, की करूं मैं अंगीकार तो प्रेम स्वीकार हो जाए,

हो प्रेम प्रज्वलित, जीवन उज्ज्वलित, हम भाव विह्वलित हो जाए,
प्रेम की नहीं जाति, तभी तो है ख्याति, हम बूंद स्वाति की हो जाए।

बने प्रेम की संगत, खिल उठे रंगत फिर हम तुम हृदयंगत हो जाए।
बन जाये अमर कहानी, लगे सुहानी, फिर ये प्रेम रूहानी हो जाए।

मन मेरा अवनी, लिख प्रेम जीवनी, फिर ये प्रेम संजीवनी हो जाए।
तुम हो मेरा लोक, सुधरे मेरा इहलोक, तेरा नाम ही श्लोक हो जाए।

कह रहा हूं मैं ’राज’ दे रहा हूं आवाज, यह प्रेम का काज हो जाए।
हो प्रेम पराकाष्ठा, रहे प्रेम में निष्ठा, प्रेम की प्राण प्रतिष्ठा हो जाए।
– राज सोनी

-





जब चांद को अपलक निहारने लगो तुम, चांद से जब बतियाने लगो तुम,
तारों में उस एक कोढूंढने लगो तुम, टूटे तारे से मन्नत मांगने लगो तुम,
उगते सूरज से जब मुस्कुराती तुम, डूबते सूरज से से उदास हो जाती तुम,
भोर के तारे से खिलने लगो तुम, सांझ का तारा जैसी लगने लगो तुम,
तब कोई पूछे तो कह देना....

नींद से दूर होने लगो तुम, सोने की नाकाम कोशिश करने लगो तुम
करवट बदलते रात गुजारो तुम, दो तकियों के सहारे होने लगो तुम,
बाजू में जगह छोड़ के सोने लगो तुम, उसको महसूस करने लगो तुम,
आंखों में ख्वाब सजाने लगो तुम, जेसे उनकी गोद में सोने लगो तुम,
तब कोई पूछे तो कह देना....

व्रत उपवास जब मन से रखने लगो तुम, सिर पर पल्लू रखने लगो तुम,
दुपट्टे में मनौती गांठ लगाने लगो तुम, मन्नत का धागा बांधने लगो तुम,
ओरों की नजरों से खुद बचने लगो तुम, नजर उतारने लगी जब तुम
रीत रिवाज में रुचि लेने लगो तुम, गृहस्थी की रस्में मानने लगो तुम,
तब कोई पूछे तो कह देना....

जब बैठी बैठी गुमसुम सी जाओ तुम, हर आहट पर लगो चौकने तुम,
सखियों को बैरन लगने लगे जब तुम, उनसे नज़रें चुराने लगो जब तुम,
प्यार के गानें गुनगुनाने ल्गो जब तुम, फिर खुद से ही शर्माने लगो तुम,
राज की पसंद अपनाने लगो तुम, प्रेयसी से अर्द्धांगिनी बनने लगो तुम।
तब कोई पूछे तो कह देना....
— राज सोनी

-


24 DEC 2023 AT 17:22

तेरे प्यार में मैं ऐसा सबसे अलग कुछ कर जाऊं,
बनें मिसाल इतिहास में हमें की ऐसा रच जाऊं।

जिस जगह जब तब कभी हम पहली बार मिलेंगे,
उस जगह को प्रेम का मैं तीर्थ घोषित कर जाऊं।

हमारी प्रेम कहानी दुनियां के जन जन तक पहुंचे,
लिखके कहानी प्यार की बोटल मेसेज कर जाऊं।

आनेवाली नस्लों को हमारी कहानी की खबर रहे,
तफसील हमारे प्यार की मैं शिलालेख गढ़ जाऊं।

लगाऊं एक बरगद का पेड़ जो मन्नत का पेड़ हो,
प्रेमी बांधे मन्नत का धागा, मन्नत पूरी कर जाऊं।

जिस सड़क पर हम चलेंगे हाथों में हाथ डाल कर,
कह के सरकार से तेरे नाम की सड़क कर जाऊं।

जो प्रेमी जोड़े है प्यार में उनकी अपनी पहचान हो,
वो दोनों पहने थंब रिंग मैं ऐसा नियम बना जाऊं।

आसमां में है अनगिनत तारे बिना नाम पहचान के,
उनमें से एक तारे को मैं कानूनन तेरा नाम दे जाऊं।

ऐसी ढेरों ख्वाहिशें मेरी, जिसकी लंबी फेहरिस्त है,
अभी तो ’राज’ का कहना हैं, ताउम्र तेरा हो जाऊं। _राज सोनी

-


11 DEC 2023 AT 17:26

मेरे नाम के फंदे तेरे मन के बूटे गढ़ गढ़ कर स्वेटर बुनना,
रिश्तों की तपिश को स्वेटर को अपनी शॉल महसूस करना।

बुन लेना तुम एक स्वेटर मेरे लिए बतौर ताउम्र की निशानी,
एक एक फंदा गिनकर प्यार की गांठों में ये अहसास भरना।

बांहों की लंबाई तुम याद रखना जब हम कस के गले मिलेंगे,
चौड़ाई मेरे कंधों की तुम अपनी शॉल से ओढ़ा कर मापना।

सलाईयां स्वेटर नही बुनती, बुनती हो तुम हमारे सपने को,
रिश्ते के इन फंदे को फंदे से जोड़ घटा कर कायम रखना।

थामे रखना बांहों में कस के तेरी शॉल के दरमियान मुझेको,
ठंड में नहीं ख्वाहिश की स्वेटर पहनूं मैं , मेरा ख्याल रखना।

पूस की ठिठुरन भरी सर्द इन रातों में हमारी दूरियों को तुम,
स्वेटर के झीने रंध्रों को शॉल से ढक कर नजदीकी करना।

पहन लेते है अब तो बदल के एक दूसरे की स्वेटर शॉल को,
एहसासों की ऐसी मिसाल फिर दुनियां में फिर कहां मिलना।

पहन लो आज तुम मेरी मोहब्बत का स्वेटर को शॉल संग,
कहीं मेरे ख्वाबों को ना लग जाए ठंड, यह ताकीद करना।

मैं यहां ओढ़ के सो जाता हूं तेरी शॉल को रजाई के बदले,
सोते वक्त रख लिया करो मेरे स्वेटर को बना के सिरहाना।

ओढ़ के मैं तुम्हारी शॉल को और पहन कर मेरा स्वेटर तुम,
आओ मना लेते है इस दिसंबर को जैसे त्यौहार हो अपना।

सर्दियां तो आती जाती रहेगी, बस तुम "राज" के संग रहना,
शॉल स्वेटर के इन रेशे रेशे से मोहब्बत का नजराना बुनना।
_राज सोनी

-


Fetching ℝ𝕒𝕛 𝕊𝕠𝕟𝕚 Quotes