तनहाई के ये बादल भी अब छटते नहीं,
तेरे बिन ये पल भी अब कटते नहीं,
क्यूँ तुम मेरे रूह में अब उतरते नहीं,
क्यूँ तेरी यादों के मौसम ये गुज़रते नहीं ।।
जब भी तेरा ज़िक्र होता है महफ़िल में,
ये आँखें बिना नम हुए चैन से रहते नहीं ।।
कुछ तो कशिश ज़रूर है तेरी वफाओं में,
युं हीं हर बार तुमसे मिलने की कोशिश करते नहीं ।।
अब और युं न तड़पाओ,आ जाओ मेरी ज़िंदगी में,
दिन तो कट जाता है मग़र ये रातें अब कटते नहीं ।।
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