तंज तगाफुल रंज तौहीन
सहने को सब सह लेंगे हम।
भंवर लपेटे फिरते हैं पैरों में
उसको क्यों संग ले लेंगे हम।
जो उसने एक बार अब पूछा
कहने को सब कह देंगे हम।
उसको अपना दिल खोल दिखाके
फिर खुद से शर्मिन्दा हो लेंगे हम।
उसको ज़माने के मअसले ही बहुत
क्यों अपनी उलझनों में लपेटेंगे हम।— % &चारागरी हमनवाई मसीहाई ऐ हमराज़
पहले तेरी अना को सर कर लेंगें हम।
हाथ छुड़ा जब वो दूर जा चुका होगा
नाम उसका कभी तबियत से पुकारेंगे हम।
होने को हासिल क्या न था जहां में
अब अपने सब्र की इंतेहा देखेंगे हम।
अब्र ए चश्म को पर्दानशीं करके
दश्त औ सहरा फिरते रहेगें हम।
हर्फ ए इश्क लिखने में कलम कांपे मगर
खुद को हर बार इसी अजीयत में डालेंगे हम।
गफलतों का दौर कितना ही तवील हो
लम्हा वो यादगार जब दुआ ए अजल मांगेंगे हम।— % &
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