Ist..... आज फिर से उन हवाओ मे वो खुशबू क्यू है जो उनके होने से हुआ करती थी आज फिर से इस चॉद मे इतनी चमक क्यू है जो उनके होने से हुआ करती थी शायद वक़्त लौट रहा है या बदल गया है
भले ही यहां हर रोज़ हमारे जीवन में नए किरदार आते हैं और चले भी जाते हैं, पर किरदार के बदलने से कुछ नहीं होता जनाब, क्यूंकि नाटक तो वही पुराने ही चल रहे होते हैं, कठपुतलियों के बदलने से क्या होता है, रंगमंच तो हर बार एक ही होता है...
किरदार निभाते रहे हैं चोले बदल बदल इक अर्से से हम, आज कुछ वक़्त निकाल तन्हाई में ख़ुद से मिल बैठे हम, बहुत कुछ बदल गया मुझमें ऐसा लगा है ख़ुद से मिलकर, अपने ऐबों पर दुनिया की दुहाई का पर्दा डाल फिर चल पड़े हम।