बड़े देश की एक छोटी सी छींक को,
मैंने यूट्यूब पर ट्रेंड करते देखा है
और छोटे से देश की बड़ी समस्याओं को भी,
मैंने चंद व्यूज के लिए तरसते देखा है
क्यों उन छोटे देशों की बड़ी तकलीफ़े,
हमारी आंखों को नज़र तक नहीं आती
और क्यों उन बड़े देशो की छोटी समस्याओं से,
जैसे हमारी नींदे उड़ जाती
इतना आगे निकल गए हम ज़िन्दगी की दौड़ में,
के अब अपना अस्तित्व ही भुला बैठे है
इंसान बनने की दौड़ में,
जैसे इंसानियत ही भुला बैठे है
मगर अंधेरा कितना भी गेहेरा हो,
सूरज की रोशनी को रोक कहाँ पता है
वक़्त कितना भी बुरा हो,
एक रोज़ तो बदल ही जाता है
वो दिन भी जल्द आएगा,
इंसान बराबर इंसान के हो जाएगा
तेरी समस्याओं का निवारण मैं,
और मेरी समस्याओं का निवारण तू हो जाएगा
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