चल तो रहे हैं
मंज़िल भी करीब है
एक हमसफर का साथ मिल जाए
तो क्या बात है।
शाम जवां है
मैख़ाने में रंगीन समाँ है
नूर ए खुदा का दीदार हो जाए
तो क्या बात है।
रात हसीन है
मौसम भी खुशनुमा है
सितारों की चद्दर मिल जाए
तो क्या बात है।
ज़ुस्तज़ू है जिसे पाने की,
मुसलसल जिसका इंतज़ार है,
वो मोहब्बत मुकम्मल करने वाला मिल जाए
तो क्या बात है।
खुदा से एक रोज़ मिलना ही है
मौत का खौफ अब कहाँ है
तेरी बाहों की अगर जन्नत मिल जाए
तो क्या बात है।
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