खो ही जायेगी सभी की पहचान एक दिन
सब के सब नज़र आयेंगे परेशान एक दिन
ये बहारें ये वादियां और ये हसीं नज़ारे भी
देख लेना सब हो जायेंगे वीरान एक दिन
अफ़सोस बहुत है,एक रोज़ वो भी आयेगा
मिटा डालेंगे इंसान ही को इंसान एक दिन
कोई इंसानियत जब कहीं बाक़ी न रहेगी
तो हुकूमत करेंगे सभी पर शैतान एक दिन
कुछ न दिखेगा, वफ़ा न मोहब्बत न इश्क़
ये अपने भी लगने लगेंगे अंजान एक दिन
किसी को किसी की भी बर्दाश्त न रहेगी
लोग सब हो जायेंगे इतने हैवान एक दिन
इस जिस्म को ज्यादा न संवारना"साजिद
निकल जायेगी इसमें से भी जान एक दिन
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