गीतों को अपने,,अंजलि में समा
हृदय से अर्पित तुम्हें मैं, करता हूँ
उठती भाव लहर,, शब्दों में समां
रचनाएँ तुम्हें मैं,, अर्पित करता हूँ
सीमा क्या? इस असीम स्नेह की
हर पल तुम्हें मैं समर्पित करता हूँ
उठती,, भाव लहर शब्दों में समां
रचनाएँ,, अपनी अर्पित करता हूँ
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