ना चाहूं मैं पिज्जा बर्गर ना चाहूं समोसा कचोरी ना चाहूं पानीपुरी बर्फी ना चाहूं जलेबी इमरती ना चाहूं मैं 5G इंटरनेट ना ही फोन की लंबी बैट्री मैं तो चाहूं पाना तुम्हारे गुलाबी लबों की मिठास जो सदा सदा हृदय को प्रेम मधुमय करती रहती
नई उमर में सुंदरता के लिए मेकअप लगाना पड़ता है पर प्राकृतिक रचना उमर की मोहताज नहीं होती है वो हमेशा सुंदर रहती है क्योंकि आए चाहे नया बासमती पर चावल पुराना वाला ही अच्छा लगता है