है हम गैर तो क्या, दिल में प्यार होना चाहिए।
मिले थे अजनबी तो क्या,अब रिश्ता ख़ास होना चाहिए।।
है मोल यहाँ खून के रिश्तों के महज ,
कोई परछाई सा साथ चले, ऐसा इतेफाक होना चाहिए।।
इस मतलबी शहर में कई मिलेंगे मतलब के साथ,
जो खड़ा रहे बिन मतलब से, ऐसा इक यार होना चाहिए।।
फूल भी मुर्झा कर चमन महका जाता,
टूट कर भी न टूटे जो , ऐसा रिश्ता-ऐ-खास होना चाहिए।।
है अल्फ़ाज़ मेरे कुछ फीके फीके ,
तो फीके ही सही,पर महक दोस्ती में नयाब होनी चाहिए।।
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