کہ وفہ کی بات اگر آئی تو ہم رو دینگے ستاروں سے سجا دامن تیرا آنسو بھیگو دینگے پھر کبھی پیاری پیاری باتیں نہ کیجیۓگا پتھر ہوئے جزبات بچا خوچا صبر کھو دینگے
के वफ़ा की बात अगर आई तो हम रो देंगे सितारों से सजा दामन तेरा आंसू भिगो देंगे फ़िर कभी प्यारी-प्यारी बातें न कीजिएगा पत्थर हुए जज़्बात बचा-खुचा सब्र खो देंगे
वो आया तो है मेरी रूख्सती पर , हाँ मगर थोड़ा परेशान है मेरी मोहब्बत पर जो उसकी बेवफ़ाई का एहसान है ! तो क्या हुआ अगर मेरे जिस्म में जान नहीं मेरे जिस्म के पास तो मेरी "जान" है !!