क्या मेरी नाराज़गी में,
छिपा मेरा प्यार नही दिखता तुम्हे ?
कितना याद किया मैंने तुम्हें,
क्या ये भी नही दिखता तुम्हे ?
तुमसे दूर रहके, कैसे जिये है हम,
तुमसे खफा होके, ये अब जताते है हम ।
क्या तुम्हें थोड़ा सा भी एहसास नही,
ये खफा होना मेरा, सिर्फ एक दिखावा है, सच नही ।
इसमें छिपी तुम्हारी याद, क्या दिखती नही तुम्हे ?
कितना याद किया मैंने तुम्हें,
कुछ ऐसे ही बया करना आता है मुझे ?
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