ज़िन्दगी की किताब के पन्ने खत्म होने को है मगर आशियाने की तलाश अब तक जारी हैं जाने कभी ये सफर खत्म होगा भी या तिनके की तरह हम भी बिखर कर हवा में मिल जाएँगे अब तो मानो साँसे भी थमने को है ये सच है अब तो ज़िन्दगी की दास्ताँ खत्म होने को है ।।।
🇮🇳| |🇮🇳 मैं फलक़ लिखूंँ ज़मीं लिखूंँ या आसमान लिख दूंँ गुज़रे लम्हों की पूरी इक दास्तान लिख दूंँ कैसे मिली आज़ादी इसी में उम्रें तमाम लिख दूंँ ऐ तिरंगे! आ तुझे आज मैं भी इक सलाम लिख दूंँ। 🇮🇳| |🇮🇳 इन रंगों में ही उन वीरों की पहचान लिख दूंँ तेरी बुलंदियों को उनके होने के निशान लिख दूंँ सारे जहां के नाम आज ये भी इक पैग़ाम लिख दूंँ ऐ तिरंगे! आ तुझे आज मैं भी इक सलाम लिख दूंँ। 🇮🇳| |🇮🇳