इंसान परिंदो के घर उजाड़ कर... अपना घर बना रहा है... परिंदो को दुख देकर... खुद खुशियों से उछल रहा है... खुद उनके घर उजाड़ कर .. अपना आशियाना बना रहा... खुद सुख से रहने लगा है ... लेकिन परिंदो को खुले... आसमान में उड़ने को मजबूर कर रहा है ...😒
Teri.... Khoobi pai duniya hansegi Teri.... Khushi se duniya Jalegi Tuje mein koi kami nahi hai... Lekin teri kamyaabi aane se duniya daregi Tu... Udd befikr udd teri udaan hi iss duniya ko badle gi...
चिड़ियों की चचहाहट भी कुछ थमी सी लग रही है वृक्षों पे कलियां भी मुरझाईं सी लग रही हैं। उसके जाने का इतना गम होगा हमे ना पता था कि ये सब कुछ होते हुए भी कमी सी लग रही है।