ოõhiན  
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Joined 24 October 2018


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25 JUL 2023 AT 16:24

मेरी चल रही जिंदगी में तेरा याद आना अजीब है
बड़ी दूर आ गया हूँ तुझसे, तू फिर भी मेरे करीब है
मेरी मोहब्बत को पागलपन ना समझ ...
इस से सीख कि वफ़ादारी क्या चीज़ है

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14 MAR 2023 AT 19:08

हमें हर कोई पसंद नहीं करता ...!
क्योंकि हम बाकी लड़कों की तरह जिंदगी नहीं जी पाते..|
शाम को बाजार के चक्कर...........अपनी मर्जी से आना जाना........... ये घुमना फिरना.........
ये हमारे हिस्से नहीं आते......|

Fun , Chill, expections सभी के बंद दरवाजे होते हैं....
हमारे बचपन में तो मुश्किलें और जवानी में जनाज़े होते हैं..... ❤️

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27 SEP 2022 AT 12:35

कि कुछ कहानियाँ अधूरी रहने दो
पूरी तो अनेक ही हैं

संगम तो दो लोगों का होता है
हम तो एक ही हैं।

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11 AUG 2022 AT 21:04

दोस्त , इश्क और परिवार
सब बिछड़ रहे हैं

तुम्हें शोर से दिक्कत है,
हम ख़ामोशी से बिखर रहे हैं।

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19 JUL 2022 AT 21:43

कि उसका चेहरा देखना अच्छा लगता है
जब वो बातें करती है।
दिल करता है बस सीने से लगाकर रखूं
पर कभी कभी बिगड़ती है।
मुझसे बहुत मोहब्बत करता हूं मैं
पर वो ज्यादा करती है।
खुदसे भी ज्यादा वो
मुझ पर मरती है।
रूप ही अलग निखरता है तब
जब वो मेरे लिए संवरती है।
लगते हैं भीड़ में अलग सबसे
जब वो साथ चलती है।❤️

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26 APR 2022 AT 20:32

कि तुम क्या हो ? कैसे हो
ये हम सब जानते हैं

ऐसे भी हैं दुनिया में ज्ञान देने वाले
जो इंसान को दुःख देकर
भगवान को मानते हैं ।

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25 OCT 2021 AT 22:52

क्या कोई होगी ?
जो खुद से भी ज्यादा प्यार करे

क्या कोई होगी ?
जो खुदकी जिंदगी मेरे पर वार दे

क्या कोई होगी?
जो मेरे रोने पर रोए

क्या कोई होगी ?
जो सच्चा प्यार करे

क्या कोई होगी ?


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6 AUG 2021 AT 12:29

मुझे देख कर कूद ता था
अचानक से
मेरा नाम सुनते गेट की तरफ भागता था
अचानक से
मेरे बिस्तर में आ जाता था सोने के लिए
अचानक से
मेरे हिस्से की आधी चीजें खाता था
अचानक से
अकेला होता तो खेलता भी था
अचानक से
कब 9 साल होगये उसे मेरे साथ
अचानक से
कुछ हुआ उसे बीती रात
अचानक से
छोड़ गया मेरा साथ
अचानक से

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27 JUN 2021 AT 23:12

मैं हर किसी की समझ मे ना आया
तो लोग आम समझ गए
मेरे अपने ना समझ पाए
तो कुछ अनजान समझ गए
जो मुझसे बात करते हैं वो ना समझ पाए
पर कुछ बेजुबान समझ गए
जिनकी इज़्ज़त का अता-पता नहीं
वो तो बदनाम समझ गए

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25 MAY 2021 AT 8:05

गांव के पत्तों जैसे
तेरे-मेरे साये हैं
जाने कितनी मुश्किलें सह
तेरे तक आए हैं

मैं पतंग तूं डोर
आ ऊंचाई मेच लें
एक बार तो मुझे
पास आकर देख ले
मेरी आँखों में तेरी चमक इतनी
कि खुदकी रोशनी भी वार गया
ऐ मेरी मंजिल तेरे आगे तो मैं
खुदको भी हार गया

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