बदलता हैं सब कुछ, मगर ज़ज़्बात बदलता नहीं दूर जाकर भी कोई, कभी मन से निकलता नहीं बुरा लगता हैं, नाराज रहती हूँ, मगर रहती हूँ वहीं बात नहीं करती उससे, मगर यादों में रहता हैं वहीं..!
जाएगा, ज़रूर जाएगा, नंगे पैर जाएगा वो,, मगर पहुँचते ही इसका वसूल ज़रूर करेगा.. यूँ मिलने तो गया होगा, वो उस ईश्वर-खुदा से,, मगर अपने लिए एक सिफारिश ज़रूर करेगा..!!
मैं राधा, मैं रुक्मिणी, मैं ही तेरी मीरा बनकर रहूँगी, तुम बने रहना मेरे कृष्णा-कन्हैया, मैं हरपल तुझमें खोई रहूँगी.. तुम्हारी प्रेमिका, पत्नी और पुजारन भी मैं रहूँगी, तुम हर रूप में मेरे श्याम बने रहना, मैं तुझसे बस इतना ही चाहूँगी..!!
वैसे तो शराब से सख्त परहेज रखते थे हम, मगर देखा हैं ज़ब से तुम्हें हम भी शराबी हो गये हैं डूबे रहते हैं हर वक्त तुम्हारें ख्यालों के जाम में, कुछ इस कदर तेरी चाहत में हम भी बागी हो गये हैं..!
यूँ गुजरना मेरे महफ़िल-ए-दिल से,, जो तेरी खुशबू सदा के लिए मेरे रूह में उतर जाए दो पल को ही सही मगर यूँ मिलना,, महज तेरी यादों की महक से मेरी ये उम्र कट जाए..!!