Swati Tiwari"मन्नत "  
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Joined 27 July 2019


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22 OCT 2022 AT 12:37

बिन सिसकियों के ये दिल बेइंतेहा रोता है
यूं हैरान न होइए कभी कभी यूं भी होता है..

बेमौसम की बारिश में कोई शख्स खुद को भिगोता है
यूं परेशान न होइए कभी कभी यूं भी होता है...

चल पड़ता है ये मन अक्सर , न जाने किसके ख्वाबो में खोता है
यूं हैरान न होइए कभी कभी यूं भी होता है...

पलकों तले एहसास छुपा कर हम जैसों को रखना होता है
यूं परेशान न होइए कभी कभी यूं भी होता है...


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22 OCT 2022 AT 12:15

तो रोशन कर दूं उस घर का वो कोना...
जहां मायूसी से घिरा है दिल
और उम्मीदों में बीत रही है ये रैना...

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9 AUG 2022 AT 17:08

कभी इक शोर में सुकून है कभी ख़ामोशी में बेचैन हूं....
क्यों ख़ुद ही से मैं पूछ रही हूं हर दफा...मैं कौन हूं....

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21 NOV 2021 AT 0:00



हिज़्र की रैना नम करके अश़्कों को बहाओगे
दर्द जो सीने में है छिपा ख़ुद से कैसे छुपाओगे...

रो पड़ेंगे मेघ भी भीग जाएगा धरा का आंचल
बेवक्त की इस बारिश में सुकून का आसरा कैसे पाओगे...

हंसता है हर कोई यहां हमदर्द बनने के बाद
बस भी करो अब किस किस को गम अपना तुम सुनाओगे...

गले लगाकर लोग यहां अक्सर इल्ज़ाम लगा जाते हैं
लाख मुद्दतों के बाद भी देखना तुम तन्हा ही रह जाओगे...

हिज़्र की रैना नम करके अश़्कों को बहाओगे....
दर्द जो सीने में है छिपा ख़ुद से कैसे छुपाओगे...


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18 NOV 2021 AT 23:15

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अश्कों का दरिया इन आंखों में भर जाऊं...
सांसों से धड़कन तक का सफ़र ख़त्म कर जाऊं...
रूठे रूठे लगते हैं अब मुझसे मेरे सपने
इंसानों के मुखौटों से डर जाऊं...
और बताओ क्या कर जाऊं...

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18 NOV 2021 AT 21:17

पल दो पल की ज़िंदगी ये तो बस कहने की बात है...
इक उम्र कटा करती है यहां उस मौत के इंतज़ार में...

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8 NOV 2021 AT 18:12

किसी की ज़िंदगी को रोशन करके देखा है क्या...
किसी के लबों पर मुस्कान भरके देखा है क्या...

जी उठेगी बेवजह ये रूह तेरी
कभी किसी पर मर के देखा है क्या...

क्यूं कैद किया है ख्वाबों को आंखों के लिफाफे में
कभी ख़ुद की अधूरी दास्तान पढ़ के देखा है क्या...

कोई धुन सुनाते हैं ये रास्ते तन्हा चलने पर
कभी कोई गीत गा कर बिन रहबर के देखा है क्या...





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आप सभी को दिवाली की ढेरों शुभकामनाएं ,
हम आशा करते हैं कि आपका साल
दीपकों की लड़ी की तरह
रोशनी लिए
एवं
खुशियों भरा
बीते...



...HAPPY DIWALI...

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1 NOV 2021 AT 23:34


यादों के सर्द मौसम में सहर नम कर जाते हैं....
ये अधूरे ख़्वाब भी ओस की बूंदों की तरह निकले...

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31 OCT 2021 AT 14:17

गैरों से ही अक्सर हम रिश्ते निभाते हैं
और ख़ुद से ख़ुद का कोई वास्ता ही नहीं...

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