Swati Sucharita Guru  
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Joined 10 April 2018


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7 APR AT 22:59

तुमसे आदतें बहुत सी हैं,
जा चुकी हैं कुछ,
पर बाकी बहुत सी हैं।

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4 MAR AT 13:11

मेरे हिस्से का
वसंत जब आएगा
एक बार में सारे
पतझड़ ले जायेगा
बस
डर इस बात का है
के कहीं उसके आने तक
ख़त्म न हो जाए
मुझमें वसंत का मोह

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11 FEB AT 23:25

घाट का एक खामोश पत्थर हूँ मैं,
मैंने नदी के बहाव के हज़ार चोटें खाई हैं

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7 FEB AT 22:27

उगी है ज्योति जग को तारने को,
जन्मा है तू कभी नहीं हारने को

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5 FEB AT 0:01

थक गया है हर शख़्स काम करते करते
तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।
गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास !!
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है

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3 JAN AT 1:09

इस दुनिया में हासिल भला क्या है ?
तेरे सिवा इबादत के काबिल भला क्या है ?

क्या करोगे सीने में नफ़रत को पाल कर ?
मोहब्बत के शिद्दत के मुक़ाबिल भला क्या है ?

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1 JAN AT 12:46

....

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14 DEC 2023 AT 22:41

कुछ अजीब से होते हैं लोग
सब पाने की आस में सब खोते हैं लोग

जिंदा लोगों की कदर नहीं करते
तस्वीरें देख देख कर रोते हैं लोग

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27 NOV 2023 AT 20:05

एक रोज़ जिंदगी कुछ यूं ढलती रही
तमाशा चलता रहा और आंखे देखती रही

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17 NOV 2023 AT 0:17

झूठ और सच जाने पहचाने लगते हैं
अब ये गलियां पुराने लगते हैं

हर शख्स दोगला है यहां
नए रिश्ते नाते सारे अफसाने लगते हैं

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