बंद चार दीवारों में ये ज़िंदगी
कभी तो मिलेगा वोह खुला आसमान वोह खिला नीला आसमान
बिना मास्क की ज़िंदगी वोह आजादी से सांस लेने की खुशी
वोह खिलखिलाते हुए लोग जो भूल जाए क्या होता है, करोना ये रोग
जिन्हे सिर्फ़ खुशियां खरीदने पड़े ना की सांसें
आएगा वोह दिन वापस आएगा जब सिर्फ ये समय चर्चे में ही रह जायेगा
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