Surendra Ram Shukla   (Alcoholic)
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Joined 17 October 2020


Joined 17 October 2020
10 SEP 2021 AT 16:53

जब आप अपनी जिंदगी में महसूस करे की आप बहुत ज्यादा परेशान है आपके साथ बहुत बुरा हुआ है।

तो आप एक बार नजदीक हॉस्पिटल में जाना और ध्यान से देखना की वहां लोग कितनी तकलीफ में जी रहे है

आपके पास जो है उनके पास वो नही है और न हो सकता है

अपने आप को समझो और अपने भगवान का शुक्रिया अदा करो की उन्होंने आपको इतनी सुंदर जिन्दगी दी है।

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8 SEP 2021 AT 23:03

"किसान पिता की आशा"
टूटी हुई कस्ती का अब साहिल बन जाओ
जिंदगी के भवर में तुम इस काबिल बन जाओ

मैं झूट भी बोलूं तो तुम सच को समझ सको
इस झूंटी दुनिया में न जाहिल बन जाओ

मेरा काम किसानी है मेरी हल बैल निशानी है
न खेत में पानी है मेरा व्यापार ही हानि है

धरती का सीना चीर बीज बोए है आशा के
इन पड़े लिखों के घर न्यूज आते कई भाषा के

पर दर्द किसानों को जो समझ में आ पाए
वो भाषा बनी नही जो अखबार दिखा पाए

#Farmer #किसाने हाल # part 1

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7 SEP 2021 AT 8:44

जब खेलने को मां खिलौना न दे पाई
चांद को ही उसने मामा बना दिया।

पहनाने को न मिला कपड़ा गरीब को
बोरी अनाज की से पाजामा बना दिया।

ऐ वक्त अब तो रहम खा उस बूढ़ी काकी पर

भूख ने बनाए हैं उसके रिश्ते अजीब से
कंकर पत्थर उठा के खाना बना दिया।

जब खेलने को मां खिलौना न दे पाई
चांद को ही उसने मामा बना दिया।

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6 SEP 2021 AT 22:56

तेरे होने से दो जून की रोटी मिली मुझको
तेरा सौभाग्य था बेटी मिली तुझको

यहां अब मीडिया का नंगा नाच होगा
पत्थर वही लगेगा जहां कांच होगा

टूट जायेंगे हम ये बताते हुए
क्यू मरे तुम अपना जताते हुए

तुझे जान से प्यारी जमीन हो गई
ब्याज ऐसी चढ़ी की सब मूल हो गई

मेरा बेटा नही अब ये भारत मरा है
वो जवान मरा है वो किसान मरा है

मुझे मालूम है की बेटियां मेरी महफूज नहीं है
पर पदमावती है वो भुजदिल नही है
में भी लगा के आग सच्चाई की यहां
बीज बो के नए पीढ़ी के यहां

चला जाऊंगा मैं भी उसकी के निकट।
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6 SEP 2021 AT 22:36

अल्फाज खुद ब खुद निकल पड़ते हैं , किसी किस्से को बया करने को ,

जुबां पर एक गहरा घाव हो गया जब किस्सा गरीब का निकला ,

वो बैल अब भी रो रहा है जिसका मालिक पेड़ से लटका मिला

वो जानो कह रहा हो उठ खड़ा हो

बेटियां शादी के काबिल हो गई हैं।
यहां भेड़ियों में भीड़ शामिल हो गई है

मै बूढ़ा होकर भी कभी हरा नहीं था
कर्ज जीवन से कभी उतरा नहीं था
सरकार ने भी मुझे जोता था
में चलते हुए ही दिन में सोता था

तेरे जाने से भेड़िए मुझे सताएंगे
इन बेटियों को बोटियों भी खायेंगे

ये सरकार भी आंधी है आंधी ही रहेगी
रजनीति गन्दी है गन्दी रहेगी

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23 JUL 2021 AT 15:19




तुझे ना चाहते तो मर जाते , ना जाने मर के किधर जाते

तुझे से मिलना भी नया जनम सा लगा मुझको , तेरे चेहरे से कुछ अपना पन सा लगा मुझको।
तेरी बातो में कुछ मेरी बात हुयी हो जैसे ,मुझे अपने ही दर्द से मुलाकात हुयी हो जैसे
तुझे ना मिले होते तो कैसे संभल पते - तुझे ना चाहते तो मर जाते .

जिंदगी फिर से अब अपनी सी लगती है i, जख्मो पे अब एक नयी परत सी लगती है
दिया है जनम हमने मिल के एक उम्मीद को , तेरे होने से ही अब परवरिश सी लगती है
यु तो जहाँ में हजारो लोग मिलते है पर तुझे मिलते ही रूह कुछ अलग सी लगती है।

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23 JUL 2021 AT 14:15

कोई बताएगा ऐसा हुआ क्या है

क्यों हर कोई मुंह छिपा कर घूम रहा है

किसने घोला है हवाओ में जहर

किसने की है हवाओ को बेचने की साजिश
क्यों हर कोई बस अपनी जिंदगी बचाता घूम रहा है।

बेबस से नजर आ रहा है फरिश्ता खुदा का
क्यों हर कोई बस ऑक्सीजन ढूंढ रहा है।

पानी और हवाओ को बेचने वाले क्यू नही समझे हो समझने वाले।
हमने ही मिलाया है हाथ सैतान से और बेचा है जमीर कुछ पैसे के लिए

तू अगर रखता है हौसला तो बता क्यू नही देता
तूने भी तो बोया है कांटा बबुल का

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18 OCT 2020 AT 6:38

कोण कहता है साहब कि natureऔर। Signature कभी नहीं बदलते बस एक चोट की जरुरत होती हैं


उंगली में लग जाए तो signature बदल जाता है और दिल मै लग जाए तो nature बदल जाता है

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17 OCT 2020 AT 7:50

""अनचाहा सा इश्क़ ""
एक ऐसी हालत है जब दिल प्यार करना चाहे पर दिमाग मना करे फिर भी आगे बड़ जाना ही अनचाहा सा इश्क़ है

अनचाहा सा इश्क़ हुए था उनसे गहरी रातो में
ना चाहते भी बढ़ता जाता उनकी मीठी बातों में।

मेरी अपनी सोच का पिंजड़ा मुझ पर ही अब भारी है
कैद पड़ा हूं भारी मोटी अपनी बनी सलाखों में।

प्यार मुकद्दर बन बैठा था इसलिए खुद को बदला था
अब क्यों खुद को बदलना चाहे बनी बनाई बातो में।
अनचाहा सा इश्क़ हुए था उनसे गहरी रातो में

जिसकी खातिर खुद को खोकर खुद को ही हम भूल गए
ना चाहते हुए सब को छोड़ा खुद की खुशी को भूल गए।
ना जाने फिर कितने दर्द उभरे मेरी उन रातो में.
अनचाहा सा.......

पार्ट-२ जल्द

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17 OCT 2020 AT 6:39

जंगल में रहने वाला घोड़ा ज्यादा ताकतवर होता है लेकिन वो किसी स्पर्धा का हिस्सा नहीं बन पाता ? क्यों की वो अनुशासित और शिक्षित नहीं होता।

अपने को ताकतवर नहीं अनुशासित बनाओ,,🙏

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