सुरेन्द्र त्यागी   (सुरेन्द्र त्यागी✍️)
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My Insta account : @tyagi.surender
Joined 17 August 2023


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कल की वो बारिश में भीगी हुई रात
आज सुबह के साथ रवाना हुई
और आज शाम बारिश हुई
तो फिर तेरी ख़वाइश हुई

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चलो आशियाने में चलते हैं
तुम चाहो अगर तो कुछ खाया जाए
इश्क़ और मोहब्बत कच्चे से है अभी
आग जलाकर इनको पकाया जाये

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जब भी तुम्हारे पास होता हूँ
तो मेरी हसरतों को पर लग जाते हैं
ख़्वाबों को नई दुनिया मिल जाती है
दिल में ढेरों अरमान जग जाते हैं

तुमसे मिलने की कोई सूरत बता दो
तुम जो चाहे सजा देना गर मेरी खता हो
कुछ लम्हे बिताओ मेरे साथ में
थोड़ा ही सही पर हक़ तो जता दो

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धड़कन बन कर धड़कने लगी हो तुम
पर बाहर लोगो को न जताया करो
लोग तेरा नाम लेकर छेड़ने लगे हैं मुझे
बेहतर है के ज़्यादा शोर न मचाया करो

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कोई और नुस्ख़ा काम नहीं आ रहा
तेरा दीदार ही मेरी दवा बन गई है
छत पर आ ज़ाया करो दो दफ़ा
हकीम ने दवा सुबह शाम कही है

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तलब तेरी हद से ज़्यादा थी और
हम कहते रहे कुछ ख़ास नहीं है
नदी के पास होकर भी प्यासे रहे हम
ये कहकर की हमें प्यास नहीं है

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ख़त के शब्दों पर निगाहें यार क्या पड़ी
वो हर शब्द जाम जितना ही नशीला हो गया
पूरे पैग़ाम को निगाहों से जो नवाज़ा उसने
ख़त ख़त न रहा मधुशाला हो गया

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तेरे दीदार की तलब की ख़ातिर
गलियों में तेरी हमने बसेरा कर लिया
हर रात इस तरह गुजरी तेरी याद में
के ख़यालों में ही हमने सवेरा कर लिया

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बेवफ़ा को खुला आसमान दे कर
ख़ुदा ने क्या तक़दीर बनाई है
मोहब्बत के पिंजरे में बंद करके वफ़ा के पंछियों को
उनकी उड़ान पर कैसे रोक लगाई है

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हमदर्द बन कर मेरा वो
दिल के अरमान ले गया
जिनके निशाँ न जाएँगे कभी
वो इतने गहरे ज़ख़्म दे गया

काश वो ज़ख़्म देने की जगह
जान माँग लेता हमारी
दिल तो टुकड़ों में बंट चुका था
जनाजा उठाना नहीं था भारी

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