कल की वो बारिश में भीगी हुई रात आज सुबह के साथ रवाना हुईऔर आज शाम बारिश हुईतो फिर तेरी ख़वाइश हुई -
कल की वो बारिश में भीगी हुई रात आज सुबह के साथ रवाना हुईऔर आज शाम बारिश हुईतो फिर तेरी ख़वाइश हुई
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चलो आशियाने में चलते हैं तुम चाहो अगर तो कुछ खाया जाए इश्क़ और मोहब्बत कच्चे से है अभीआग जलाकर इनको पकाया जाये -
चलो आशियाने में चलते हैं तुम चाहो अगर तो कुछ खाया जाए इश्क़ और मोहब्बत कच्चे से है अभीआग जलाकर इनको पकाया जाये
जब भी तुम्हारे पास होता हूँतो मेरी हसरतों को पर लग जाते हैंख़्वाबों को नई दुनिया मिल जाती हैदिल में ढेरों अरमान जग जाते हैंतुमसे मिलने की कोई सूरत बता दो तुम जो चाहे सजा देना गर मेरी खता होकुछ लम्हे बिताओ मेरे साथ में थोड़ा ही सही पर हक़ तो जता दो -
जब भी तुम्हारे पास होता हूँतो मेरी हसरतों को पर लग जाते हैंख़्वाबों को नई दुनिया मिल जाती हैदिल में ढेरों अरमान जग जाते हैंतुमसे मिलने की कोई सूरत बता दो तुम जो चाहे सजा देना गर मेरी खता होकुछ लम्हे बिताओ मेरे साथ में थोड़ा ही सही पर हक़ तो जता दो
धड़कन बन कर धड़कने लगी हो तुमपर बाहर लोगो को न जताया करो लोग तेरा नाम लेकर छेड़ने लगे हैं मुझेबेहतर है के ज़्यादा शोर न मचाया करो -
धड़कन बन कर धड़कने लगी हो तुमपर बाहर लोगो को न जताया करो लोग तेरा नाम लेकर छेड़ने लगे हैं मुझेबेहतर है के ज़्यादा शोर न मचाया करो
कोई और नुस्ख़ा काम नहीं आ रहातेरा दीदार ही मेरी दवा बन गई है छत पर आ ज़ाया करो दो दफ़ा हकीम ने दवा सुबह शाम कही है -
कोई और नुस्ख़ा काम नहीं आ रहातेरा दीदार ही मेरी दवा बन गई है छत पर आ ज़ाया करो दो दफ़ा हकीम ने दवा सुबह शाम कही है
तलब तेरी हद से ज़्यादा थी औरहम कहते रहे कुछ ख़ास नहीं है नदी के पास होकर भी प्यासे रहे हमये कहकर की हमें प्यास नहीं है -
तलब तेरी हद से ज़्यादा थी औरहम कहते रहे कुछ ख़ास नहीं है नदी के पास होकर भी प्यासे रहे हमये कहकर की हमें प्यास नहीं है
ख़त के शब्दों पर निगाहें यार क्या पड़ीवो हर शब्द जाम जितना ही नशीला हो गयापूरे पैग़ाम को निगाहों से जो नवाज़ा उसनेख़त ख़त न रहा मधुशाला हो गया -
ख़त के शब्दों पर निगाहें यार क्या पड़ीवो हर शब्द जाम जितना ही नशीला हो गयापूरे पैग़ाम को निगाहों से जो नवाज़ा उसनेख़त ख़त न रहा मधुशाला हो गया
तेरे दीदार की तलब की ख़ातिरगलियों में तेरी हमने बसेरा कर लियाहर रात इस तरह गुजरी तेरी याद मेंके ख़यालों में ही हमने सवेरा कर लिया -
तेरे दीदार की तलब की ख़ातिरगलियों में तेरी हमने बसेरा कर लियाहर रात इस तरह गुजरी तेरी याद मेंके ख़यालों में ही हमने सवेरा कर लिया
बेवफ़ा को खुला आसमान दे कर ख़ुदा ने क्या तक़दीर बनाई हैमोहब्बत के पिंजरे में बंद करके वफ़ा के पंछियों कोउनकी उड़ान पर कैसे रोक लगाई है -
बेवफ़ा को खुला आसमान दे कर ख़ुदा ने क्या तक़दीर बनाई हैमोहब्बत के पिंजरे में बंद करके वफ़ा के पंछियों कोउनकी उड़ान पर कैसे रोक लगाई है
हमदर्द बन कर मेरा वोदिल के अरमान ले गया जिनके निशाँ न जाएँगे कभीवो इतने गहरे ज़ख़्म दे गयाकाश वो ज़ख़्म देने की जगह जान माँग लेता हमारीदिल तो टुकड़ों में बंट चुका थाजनाजा उठाना नहीं था भारी -
हमदर्द बन कर मेरा वोदिल के अरमान ले गया जिनके निशाँ न जाएँगे कभीवो इतने गहरे ज़ख़्म दे गयाकाश वो ज़ख़्म देने की जगह जान माँग लेता हमारीदिल तो टुकड़ों में बंट चुका थाजनाजा उठाना नहीं था भारी