Sùññy Thàkúr Swàrnkàr   (Shivkaran)
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Joined 11 January 2018


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Joined 11 January 2018

वर्षों पहले कहानी खत्म हो गई एक कहानी
हम आज भी उस एक किरदार में उलझे है।

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कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:

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आधा वो मेरा था, आधा वो किसी और का,
मैंने वो आधा भी उसे लौटा दिया,
अब वो पूरा किसी और का है।

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भांग धतूरे की खुशबू महक रही शिवालय में।
नाच रहे है नर पिचाश माता के गलियारे में।
आज मिले थे पुनः दोनों महाशक्ति,
युगों युगों के इंतेज़ार के बाद,
बताने प्यार के मायनों को।

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वजह चाहें जो भी हो,
अगर तुम बीच में छोड़ दोंगे
तो वो खेल ही होगा, इश्क़ नहीं।

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30 DEC 2023 AT 15:00

2022 taught us to lose,
2023 taught us to be patient,
now we hope
2024 will learn to forget and gain.

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8 DEC 2023 AT 4:27

स्त्रियों की विवशता पर कब किसी ने लिखा,
जिस शायर ने लिखा सिर्फ बेवफ़ा ही लिखा..

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5 DEC 2023 AT 2:37

अक्सर खामोश रातों में यह जेहन
अपने दिल की नादानियां गिनवता है

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24 OCT 2023 AT 18:19

आज फिर जिक्र हुआ महफिलों में तुम्हारा
फिर वो पुराने यादें और दर्द लौट आया।

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22 SEP 2023 AT 22:53

जो कभी ना भर पाए ऐसा भी एक घाव है,
जी हां! उसका नाम लगाव है

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