SUNITA   (आज़ाद पंछी)
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Joined 13 March 2019


Joined 13 March 2019
8 MAR 2022 AT 7:43

I am thankful to you ❤️

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1 MAR 2022 AT 22:58

जीवन के छोटे-छोटे पलों को
आँखों के आईने में क़ैद कर लूँ
जब भी आँखें बंद करुँ सुकून से
वो पल नींद में भी जीवंत हो उठें!



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16 JUN 2021 AT 19:55

प्यार की धूप से रिश्तों में ग़र्माहट बनी रहती है
ये धूप रिश्तों को सीलन नहीं लगने देती 💕

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2 MAY 2021 AT 15:30

जल्द बन जाएंगी
पर तुम सेहत का रखो ख़्याल!
ये हवाएँ फिर खुशनुमा हो जाएंगी
और दूरियाँ फिर नज़दीकियाँ बन जाएंगी.....

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30 APR 2021 AT 16:21



जब मेरा देश बिलख-बिलखकर
रोता है और मेरे देश का प्रधानमन्त्री
आँख खोलकर सोता है!
अफ़सोस होता है
सच में अफ़सोस होता है.......

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28 APR 2021 AT 1:17

तेरे आने से ही तो हसीं बनती है..
वरना कितनी शामें मायूस होकर..
तेरे ना होने का अहसास दिलाकर
रात के आगोश में समा गयी..

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4 FEB 2021 AT 23:18

आज फिर अलसाई सी अधखुली आँखें
तुझे देखने के लिए बेक़रार थी !

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29 DEC 2020 AT 14:48


खुशियोँ की झिलमिलाती सी लड़ियाँ हैं
लड़कियाँ तो चमचमाती सी फुलझड़ियाँ हैं !
✍️सुनीता

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27 DEC 2020 AT 22:16

कुछ रुकी-रुकी सी
कुछ थकी-थकी सी
ऐसी ही तो हो गयी है
ये ज़िन्दगी 😃

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23 DEC 2020 AT 4:15

मुर्दों का शहर

क्या कहें?
किससे कहें?
कि मुर्दों का शहर है
सही को सही
गलत को गलत कहने की
हिम्मत नहीं है लोगों में.....
हिम्मत नहीं है कि
सत्य के साथ खड़े हो सकें
असत्य से मुँह मोड़ सकें !
कब्रिस्तान से नहीं
इन चलते फिरते मुर्दों से
से डर लगता है साहब.....
ये इंसान तो हैं किन्तु
इनकी देह मर चुकी है !

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