मुर्दों का शहर
क्या कहें?
किससे कहें?
कि मुर्दों का शहर है
सही को सही
गलत को गलत कहने की
हिम्मत नहीं है लोगों में.....
हिम्मत नहीं है कि
सत्य के साथ खड़े हो सकें
असत्य से मुँह मोड़ सकें !
कब्रिस्तान से नहीं
इन चलते फिरते मुर्दों से
से डर लगता है साहब.....
ये इंसान तो हैं किन्तु
इनकी देह मर चुकी है !
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