सब कुछ हार कर अब, भूख को पालने लगा हु, मुकदर को भी दर है, कि मै अपना नझरया ना बदल लु। निंद से बगावत ना करलु, कलम ऊथा कर, तकदीर ना लिखदु। तुफान जो दफन है मुझमे, ऊसै कुछ पल के लिए आजाद न करदु।
होशो-हवाझ मे हर मंझर देखना चाहता हु, बदलते हालात मे, लोगौ के मुखौटे उतरते देखना चाहता हु, वक्त की दौद मे शामिल खुदगरझौ को देखना चाहता हु, मै जित के जशन मे, सिर्फ अपनो को देखना चाहता हु।
हाथो की लकिरो को घुरता रहता हूॅ, हर पल तेरी यादो मे खोया रहता हॅ। बस ईतनीसी ख्वाहिश है तुजसै, तेरा हाथ भी आगे करदे बस, अधुरी सी तकदीर को पुरा करदे बस, सलवतै जिंदगी की कैसी भी हौ, तु मेरा साथ देदै बस।