Sukhan   (Sukhan)
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Joined 30 December 2020


Joined 30 December 2020
11 HOURS AGO

कृष्ण यदि हैं विजय तो पुष्प - हार राधिका
कृष्ण यदि ज्ञान हैं तो सार - सार राधिका

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19 HOURS AGO

मन की सुंदरता सदैव कल्याणकारी होती है।

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26 APR AT 10:39

तुम मेरी मौत पर रोना नहीं...

क्योंकि

ये हमारी पुनर्मिलन की यात्रा में

विराम भर होगा...

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24 APR AT 8:35

जो भी देखे कहे कि मैं दीवानी जैसी लगती हूँ
रिश्ते नातों से भी कुछ बेगानी जैसी लगती हूँ

जादू सा छाया है या फिर असर तुम्हारी उल्फ़त का
मैं ख़ुद को अब बिना ताज़ की रानी जैसी लगती हूँ

चाँद सितारे रात चाँदनी सब कुछ ही तो मुझसा है
क्यों कहते हो मैं इक शाम सुहानी जैसी लगती हूँ

करती हूँ मैं हवा से बातें बादल ओढ़ी हुई फिरूँ
शायद मैं परियों की किसी कहानी जैसी लगती हूँ

रुकती नहीं रवानी मेरी दुनिया से अनजानी हूँ
मैं बहती नदिया के कल कल पानी जैसी लगती हूँ

जो तुमने पूछा है तो मैं बतला देती हूँ तुमको
तुमने जो दी थी मैं उसी निशानी जैसी लगती हूँ

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23 APR AT 15:19

दुनिया की सबसे प्यारी चीजें
बंद आँखों से देखी जाती हैं... !!!!

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20 APR AT 11:59

कुछ रिश्ते नागफनी से होते हैं... जो किसी भी परिस्थिति में पनपते हैं... फलते - फूलते हैं... बिना खाद - पानी के बढ़ते हैं और तो और अपनी सुरक्षा के लिये काँटेदार भी हो जाते हैं... लेकिन इन रिश्तों की जड़ें बड़ी मज़बूत होती हैं... बिल्कुल नागफनी जैसी ♥️
तुम और मैं कुछ यूँ ही हैं... नागफनी जैसे 😁

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19 APR AT 19:45

प्रेम... !!!!

सदैव अपेक्षित होता है..

बस उसकी दिशा....

उसका प्रवाह...

अथवा

उसका स्रोत अनपेक्षित होता है... !!!!

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12 APR AT 13:59

खोजा जो अपना दिल तो वो फ़क़ीद सा मिला
मुझसे जो कल मिला वो माह ए ईद सा मिला

उसने कहा था आशिक़ी मुश्किल बहुत है यार
और मुझसे जब मिला तो ख़ुद शदीद सा मिला

आँखों में उसके ख़्वाब हज़ारों हैं बस रहे
मुझ नामुराद को वो किसी उम्मीद सा मिला

तन्हा अँधेरी राह चले जा रहे थे हम
वो मुझको ख़ुदा की किसी ताक़ीद सा मिला

है पाक रूह खुशमिजाज़ और सुख़न पसंद
रब के किसी अहसान सा मजीद सा मिला

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9 APR AT 3:32

तुझको ख़्वाबों में सही पर देख पाऊँ
इसलिये ही मैंने अपनी मन्नतें कुर्बान कर दीं

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7 APR AT 21:17

अभी तो मेरा बहुत खज़ाना बाकी था
तुझपे कितना प्यार लुटाना बाकी था
बनी फ़कीरन बस तेरे ही लिये पिया
तुझपे तो संसार लुटाना बाकी था

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