खिड़की खोलके भी जब हवा नहीं आती तो लगता है शाखाओं को काट कर गलत ही किया है हमने... जब नज़रें उठाने पे भी आसमान नज़र नहीं आता.. तो लगता है ऊंची इमारत बना कर गलत ही किया है हमने...
गुजर रही है ज़िन्दगी, पर जीना अभी बाकी है.. जिन हालतों ने पटका ज़मीन पर, उठ कर उन्हें ज़वाब देना अभी बाकी है.. चल रहा हूँ मंजिल के सफर में, मंजिल को पाना अभी बाकी है.. कर लेने दो लोगों को चर्चा मेरे हार की, कामयाबी का शोर मचाना अभी बाकी है.. वक़्त को करने दो अपनी मन-मानी, मेरा वक़्त आना अभी बाकी है.. अभी रात है तो क्या हुआ, सुबह का आना अभी बाकी है..