हो सच्चा इश्क तो बाल सवारे जाते हैं
कदमो को नही चूमा जाता ।।
हदे बनी होती हैं हर एक रिश्ते की ।
यूं इश्क का बहना बना कर किसी की बाहों में
नही झूमाँ जाता ।।
सच्चे इश्क में बिठाया जाता हैं सर पलकों पर म्हबूब को
दुनियां के दिखावे के लिए यूं पैरो में नही बैठा जाता
इश्क हो या कोई रिश्ता स्त्री के पैरों में
यूं मर्द का रहना अच्छा तो नही होता ।।
इश्क हो बेइन्तहा कितना भी
इश्क की चका चोन्द में संस्कार, मान मर्यादा ,
का यूं कत्ल अच्छा तो नही होता ।।
खुद को मॉडर्न बना कर पेश करे इश्क के किसे दुनियां के सामने
Sorry मुरशद ये इश्क सच्चा तो नही होता ।।
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