कहां रह गए तुम,
अभी तक न आए ।
चाय अ गई हमारी ,
लेकिन
वो हसरते मोहिनी चमक,
तेरे लबों की अभी न आई।
चाय की लत ,तभी लगती है।
मेरी रामप्यारी.......
जब
इकरार कर बैठे हो,
या टूटे दिल के शिकार हुए बैठे हो।
दोनो हसरतों में चाय ही ,
खालीपन का सहारा है।
हर एक घुट में ,संग जिए हुए लम्हे,
याद कराती है।
हुई जो गलती इधर से, उसका अहसास दिलाती है।
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