Sonu Yadav   (सोनू यादव🤭)
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Joined 11 December 2018


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11 JAN 2022 AT 15:30

नू बोले से
ऐ दाढ़ी मूछ न रख्या कर।
मन्ने अच्छी कोणा लागे से।
बेरण कल मिली से,
पता है के बोली ,
दाढ़ी मूछ में
सुतरा लगान लाग्यो है छोरा।

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25 DEC 2021 AT 9:32

लक्ष्य एक साधो लेकिन
नेक साधो।
कर्म में निरंतरता रखो,
उसके प्रति कर्मठता रखो।

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16 JUN 2021 AT 20:01

चार पैसे लगे वो कमाने।
चन्द पैसों की गर्माहट थी,आई उनमें
चार कंधो पर हो सवार,
चार - पांच क्रियाकर्म में सिमट गई।
चार दिन थे, रोए अपने।
चार पड़ोसी ,चार बातें करके।
चार दिन में भूल गए।

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14 JUN 2021 AT 23:13

लोग सोचते है,
हम ख़राब है।
ख़राब हम नहीं ,
हम में (मैं) का भाव,
पैदा होना ख़राब है।

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13 JUN 2021 AT 0:07

फिजाओं का रुख ,उसने अख़्तियार किया।
नूर ए रस्म को हमने इकरार किया ।
फिज़ा लहराती , हिचकोले खाती हुई।
दरमियान हमारे तब आई।
जब बांध सहरा सेज पर,
छोरी के पीछे पीछे चुनरी संभालती उसकी सखियां आई।
अखियन अखियन में वो सब कह गई।
तेज आशु की बोछार में, बिताए पल समेट ले गई।
नूर ए रस्म का इकरार नामा समझ न आया।
किसने किसको दुहाईयो में घेरा जहन में न आया।
लिखते वक्त कचोट रहा था, सीने में कुछ।
शायद कमी मेरी ही रही होगी, छोड़कर चले जाने में तेरा यूं मुझको।

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8 JUN 2021 AT 23:22

कहां रह गए तुम,
अभी तक न आए ।
चाय अ गई हमारी ,
लेकिन
वो हसरते मोहिनी चमक,
तेरे लबों की अभी न आई।
चाय की लत ,तभी लगती है।
मेरी रामप्यारी.......
जब
इकरार कर बैठे हो,
या टूटे दिल के शिकार हुए बैठे हो।
दोनो हसरतों में चाय ही ,
खालीपन का सहारा है।
हर एक घुट में ,संग जिए हुए लम्हे,
याद कराती है।
हुई जो गलती इधर से, उसका अहसास दिलाती है।

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7 JUN 2021 AT 13:51

उन्होंने कुछ इस अंदाज़ में
रिश्ता अपनाया,
गैरो से ख़ास अपने को बतलाया।
ससुर को उन्होंने था ठुकराया,
क्योंकि
पिता जी के अंदाज़ में उन्होंने ससुर को, हैं अपनाया।
आने से पहले ही मां के दरम्यान,
एक शर्त उन्होंने रखी।
बहू की ओढ़नी ओढ़ न माजी,
बेटी समझ ले चलो तो अभी संग चली।

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6 JUN 2021 AT 20:01

उसके तेवर कुछ इस कदर बदले।
खुद पर मेरा, मुझ पर अपना
हक जताने लगे।
बातों ही बातों में ,
क्या खूब लहज़ा संवारा उन्होंने,सलीके के ओट में।
धीरे से मेरे पापा को, पापा जी कहकर पुकारा उन्होंने।

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5 JUN 2021 AT 14:30

ए कलम , उनका नाम लिख.... जा।
ज़रा- सा इतना काम कर जा।
कर न पाया व्यां,अभी तक जिसको मैं।
उनको अपने हवाले से ,
मेरे नाम कर जा।
सुबह सुबह उठता हूं,
जिनकी आवाज़ सुनकर में,
उनको मेरा पैगाम दे जा।
14345 num की गाड़ी पकड़ के,
मुझसे हमेशा के लिए मिलने आजा।

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3 JUN 2021 AT 16:44

कल रात,
मैने उससे कहां
,एक फोटो खिंचवानी है।
पगली बोली,
मुझको पूरी एल्बम बनवानी है
डाले हुए बाहों के हार तेरे संग,
कांच में मढ़ी हुई फोटो।
सेज के सिराने लगवानी है।

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