अगले महीने मेरी बर्बादी हैं,
अरे कैसे बताऊं उस बेवफा की शादी हैं।।
तब शायद उसे भी मेरी याद आयेगी,
रातों को सोकर वो मेरी ख्वाब सजायेगी।।
मांगेगी माफ़ी मुझसे किये हुए हर एक वादें का,
रो रोकर बतायेगी हर एक बात अपने सहजादे का।
तब शायद वो भी अपनी मोहब्बत की सिमा लाघेगी,
अपने किए हुए बेवफाई की मुझसे माफ़ी मागेगी।।
उसके दिए गए जख्मों को कभी साफ नहीं करुंगा,
उस बेवफा को ताउम्र कभी माफ नहीं करूंगा।।
कितना भी मांगे माफी उसे ताउम्र शर्मिन्दा रखूंगा,
मर जाएंगी भले ही, फिर भी उसे अपने हर एक शायरी
में जिन्दा रखूंगा।।
अगले महीने मेरी बर्बादी हैं,
अरे कैसे बताऊं उस बेवफा की शादी हैं।।
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