बना लो अभिप्रेरणा अपने स्वपन को हर उस निराशा के बादल हटाने के लिए भर लो अदम्य साहस भुजाओं मे हर उस विप्पति के मुकाबले के लिए बाधाएँ तो कल भी थी और कल भी होंगी उनका काम हैं तुम्हें विचलित करके जाना एवरेस्ट की ऊँचाई सी दूर पड़ी है मंजिल जिसे तुम्हें स्वयं ही होगा पाना करो साहस, कर लो संकल्प मन मे अब नही रुकोगे तुम इस प्रगति पथ मे
करी हो विंतिया तोहसे सुनअ हे भोला त्रिपुरारी शंभु नाथ हें महादेवा हे जगत के कल्याणी करीला तू सब पर कृपा हो बाबा सुन हो अब त विनती हमारी बहुत असफलता झेल रहली हयी हम किस्मत के मारी कहेला सब तोहके भोले बाबा सब के तू ह दुखहरण हारी हमरो विनती सुन ला ना हो बाबा आस हयी अब बस तोहरे दुआरि
वो चंद सी दिवारी और व्याकुल से नैन मानो कुछ ढूँढ़ रहे हो शायद अपना पहला प्यार जैसे वो वही मिलेगा एक बार फ़िर थामने को अपने हाथों मे मेरा हाथ अपनी ज़िंदगी का आधा भाग वो मेरा पहला प्यार मेरे इनकार को अपने इंतजार का वास्ता दे वो करा लेगा इकरार अपनी मोहब्बत का वो मेरा पहला प्यार
रंगों से सजाना था हर कोना महकाना था जीवन को जहाँ अपने चंदन सा चमकाना था पर फेर मति की मारी मैं कुछ जलन की पीड़ा से कुछ मोह के बंधन से कलंकित कर के पापों से आज हाथों का ये रंग देखोे कैसे चमक रहा
शहर की रोशनी मे छिपा एक ऐसा अंधेरा जिस से लड़ते लड़ते हर रात यू बीत जाती है मानो कल सुबह होगी एक नई उम्मीदों की और इसी तरह रोशनी के साथ हर शाम एक और उम्मीद का वास्ता देकर ले आता है अंधेरा उसी अंधेरे को दूर करने हर रात संघर्ष करती है ये राते मानो कभी तो सुबह होगी
रात का अंधेरा कितना भी गहरा हो सवेरा हो ही जायेगा जख्म कितना भी गहरा हो एक न एक दिन भर ही जायेगा क्यों ज़िद्दी बना है तू दिल उसे याद करने मे दूरियाँ इतनी गहरी हो चुकी हैं अब वो तुझे भूल ही जायेगा