Somakshi  
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मेरी परवाज़ से मैंने अपना आशियाँ ढूंढ लिया,
और हौसलों से ये आकाश चूम लिया..।।
Joined 16 December 2019


मेरी परवाज़ से मैंने अपना आशियाँ ढूंढ लिया,
और हौसलों से ये आकाश चूम लिया..।।
Joined 16 December 2019
22 SEP 2021 AT 22:20

क्या बात थी क्या ज़माना था,
नई बात थी शज़र पुराना था।
ऐसी क्या धड़कन बन गई ज़ुबां मेरी,
कि नज़र ख्वाब थी और दिल दीवाना था।



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12 AUG 2021 AT 21:25

तुझे क्या चाहिए ज़िन्दगी,
और मुझे क्या देना है।
जहां से गुज़रना है,
वहीं ख़ाक होना है।

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18 JUL 2021 AT 21:08

तुझे लिखते-लिखते ए ज़िन्दगी,
एहसास हुआ है यह मुझे।
कि तुझे ढूंढते-ढूंढते,
मैंने लिखना शुरू कर दिया।

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16 JUL 2021 AT 22:03

तमन्ना इतनी सी है,
में उसकी सदाक़त से वाकिफ़ रहूँ।
रोता है जब ये दिल,
उसकी हक़ीक़त से वाकिफ़ रहूँ।
दिन ढले या ख़्वाब जगे,
उसकी मेहरबानियों से वाकिफ़ रहूँ।
जी रही है जो ज़िन्दगी,
उसकी हर नज़्म से वाकिफ़ रहूँ।
मेंह की इस ग़ज़ल में,
उसके हर ग़म से वाकिफ़ रहूँ।

-Somakshi










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13 JUL 2021 AT 22:15

ये इंतज़ार भी ख़त्म होगा,
दूरियों का पहाड़ भी खत्म होगा।
जब से उल्फ़त भरी नज़र से उसने देखा है,
इस दिल का आराम भी ख़त्म होगा।


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9 JUL 2021 AT 22:09

मेरी नज़र में छुपी हुई किताब को पढ़ लो,
सारी ख़्वाहिशों का आज ही पूरा हिसाब कर दो।

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9 JUL 2021 AT 22:02

फुरसत मिले तो कभी खुद को पढ़ना,
दिल में दबी हुई अवाज़ को सुनना।
समझना मेरी एक-एक बात को कुछ ऐसे,
मेरे लिखे हुए अफसानों की कलम तुम बनना।

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4 JUL 2021 AT 21:10

शब्द दर शब्द कर्ज़दार हूँ में,
जो तेरे पर न लिखूँ तो बेकार हूँ में।

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28 JUN 2021 AT 22:04

अजब रात है,
अजब बात है।
ख़्वाब अधूरे हैं,
ये चाँद फिर भी साथ है।
आलम बदला सा लगता है,
इस जहाँ का मुझे।
जो रात चारों तरफ घुली है,
पर आँखों मे फिर भी सुब्ह की आस है।


-Somakshi







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27 JUN 2021 AT 21:42

ये राहें भी क्या कमाल करती हैं,
जवाब ढूंढने निकलते हैं।
ये सवाल करती हैं,
आज़माना बखूबी आता है इन्हें भी।
हर रोज़ का जो हिसाब रखती हैं,
थक गए थे जिन एहसासों को सहेजते-सहेजते..
सूनेपन में भी ख़्वाहिशें हज़ार रखती हैं।


-Somakshi
















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