आ ऐ मेरे दिल, लिख एक खत इश्क़ के नाम, भेज अपने दिल का इक पैगाम, नहीं गुज़रती तेरे बगैर ये हसीं शाम, मदहोशी रहती है,छलकता है दिल का ज़ाम, इश्क़ ही तो किया है,क्यों लेते हो दिल से इंतकाम, ये दौर ना आएगा, ज़िन्दगी जीने का कर लो इंतज़ाम, आखिर में,इस हुश्न का इंतज़ार के साथ इश्क को सलाम!
गजरा,कजरा,चूड़ी ,पायल हर बंधन मैं स्वीकार करूँ, हृदय ने तुमको किया वरण,तेरे लिए ही ये श्रृंगार करूँ, तेरे सिवा कोई भी भाए ना,तेरे सामने ये इज़हार करूँ, इस जन्म अगर तुम मिले नहीं,जन्म-जन्म तेरा इंतज़ार करूँ।
तेरे चेहरे में दर्पण साजन,जिसे देख के मैं श्रृंगार करूँ, तू जब देखे नैनो से,प्रेम के संपूर्णता को स्वीकार करूँ, तू अगाध सुख का सागर है,तेरे सामने मैं इकरार करूँ, संग बंधी जीवन की डोर,हर जन्म में तेरा इंतज़ार करूँ।
जीवन में लाख मुसीबत आये,जब दुख के बादल छाए, जो रात कालिमा गहराए,जो वक़्त नश्तर बन चुभ जाए, जो दिशा दिग्भ्रमित कर जाए,जो कुछ भी नज़र ना आये, मन बांध उमड़ता ही जाए, बरसात सब बहाकर ले जाये,
हूँ उस पल-पल में साथ तेरे, तुम एक ज़रा मत घबराना, अचल स्थिर बने रहना,गम किसी को भी मत दिखलाना, मैं धरती सी सहन कर सकती हूँ,तुम साथ मेरे मुस्काना, हर हाल में प्रीत निभाना प्रीतम,साथ छोड़कर मत जाना।
रहमत की आस में, आशान्वित है ज़िन्दगी, कभी तो कुबूल होगी मेरी,ख़ुदा को बन्दगी।
मेहनत को कर्म बना, भाग्य की भाग्य जाने, दिल की सदा सुन, सत्यकर्म सदा सत्य माने, दया-धर्म दिल में रख, बनेंगे अपने अजनबी, कभी तो कुबूल होगी तेरी, ख़ुदा को बन्दगी।
धरती,सूर्य,चाँद,आसमाँ सब के सब एक हैं, हैरत की बात है, खुदा, ईश्वर कैसे अनेक हैं, मानवता की बात कर,रहमत करेंगे तब नवी, तभी तो कुबूल होगी तेरी, ख़ुदा को बन्दगी।
रहमत की आस में, आशान्वित है ज़िन्दगी, कभी तो कुबूल होगी मेरी,खुदा को बन्दगी।