Smita Singh  
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Joined 23 May 2022


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8 HOURS AGO

शाम,चाय और तुम, ये महज इक खूबसूरत ख़याल है,
एकांकीपन में गुज़री है ज़िन्दगी अपनी,बाक़ी मलाल है।

ये धुंधलका,ये कलरव सबको है घर लौट आने का सुकून,
आज भी खत्म हो ना सका,तेरे घर लौट आने का जुनून।

हर शाम चाय,तुम और तेरा इंतज़ार,बहुत बेकरार करता है,
मेरे मरने पर समझ पाओगे कि कैसे कोई किसी पे मरता है।

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9 HOURS AGO

आ ऐ मेरे दिल,
लिख एक खत इश्क़ के नाम,
भेज अपने दिल का इक पैगाम,
नहीं गुज़रती तेरे बगैर ये हसीं शाम,
मदहोशी रहती है,छलकता है दिल का ज़ाम,
इश्क़ ही तो किया है,क्यों लेते हो दिल से इंतकाम,
ये दौर ना आएगा, ज़िन्दगी जीने का कर लो इंतज़ाम,
आखिर में,इस हुश्न का इंतज़ार के साथ इश्क को सलाम!

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9 HOURS AGO

ये गगन का चाँद भी,तेरे चेहरे के नूर को देख मुस्कुराता है,
जब तू मेरे आगोश में हो,बादल की ओट में छुप देखता,शर्माता है।

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9 HOURS AGO

इस क़दर न मुझको सरे राह,तग़ाफ़ुल ना कर ऐ इश्क़,
जब तेरी नज़रों का अंदाज़ बदलेगा,मेरी आँखें बंद पायेगा।

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4 MAY AT 23:03

गजरा,कजरा,चूड़ी ,पायल हर बंधन मैं स्वीकार करूँ,
हृदय ने तुमको किया वरण,तेरे लिए ही ये श्रृंगार करूँ,
तेरे सिवा कोई भी भाए ना,तेरे सामने ये इज़हार करूँ,
इस जन्म अगर तुम मिले नहीं,जन्म-जन्म तेरा इंतज़ार करूँ।

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4 MAY AT 22:54

तेरे चेहरे में दर्पण साजन,जिसे देख के मैं श्रृंगार करूँ,
तू जब देखे नैनो से,प्रेम के संपूर्णता को स्वीकार करूँ,
तू अगाध सुख का सागर है,तेरे सामने मैं इकरार करूँ,
संग बंधी जीवन की डोर,हर जन्म में तेरा इंतज़ार करूँ।

जीवन में लाख मुसीबत आये,जब दुख के बादल छाए,
जो रात कालिमा गहराए,जो वक़्त नश्तर बन चुभ जाए,
जो दिशा दिग्भ्रमित कर जाए,जो कुछ भी नज़र ना आये,
मन बांध उमड़ता ही जाए, बरसात सब बहाकर ले जाये,

हूँ उस पल-पल में साथ तेरे, तुम एक ज़रा मत घबराना,
अचल स्थिर बने रहना,गम किसी को भी मत दिखलाना,
मैं धरती सी सहन कर सकती हूँ,तुम साथ मेरे मुस्काना,
हर हाल में प्रीत निभाना प्रीतम,साथ छोड़कर मत जाना।

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4 MAY AT 17:45

आ बाँहों के झूले में, ले चलूँ दुनियाँ की नज़रों से दूर तुम्हें,
गम की परछाई ना पड़े,कोई बिछड़ने को ना करे मजबूर हमे।

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4 MAY AT 9:52

रहमत की आस में, आशान्वित है ज़िन्दगी,
कभी तो कुबूल होगी मेरी,ख़ुदा को बन्दगी।

मेहनत को कर्म बना, भाग्य की भाग्य जाने,
दिल की सदा सुन, सत्यकर्म सदा सत्य माने,
दया-धर्म दिल में रख, बनेंगे अपने अजनबी,
कभी तो कुबूल होगी तेरी, ख़ुदा को बन्दगी।

धरती,सूर्य,चाँद,आसमाँ सब के सब एक हैं,
हैरत की बात है, खुदा, ईश्वर कैसे अनेक हैं,
मानवता की बात कर,रहमत करेंगे तब नवी,
तभी तो कुबूल होगी तेरी, ख़ुदा को बन्दगी।

रहमत की आस में, आशान्वित है ज़िन्दगी,
कभी तो कुबूल होगी मेरी,खुदा को बन्दगी।

स्मिता सिंह

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3 MAY AT 13:17

कुछ फैसले होतें हैं भाग्य के, तू इस कदर ग़म ना कर,
हौसला हो तो तूफान हार जाता है,तू हौसले को कम न कर।

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3 MAY AT 10:16

जात-पात,धर्म-अधर्म,ऊंच-नीच सब समझ का फेर है,
ऐसी उलझी छोटी बातों से, मानव का जीवन अंधेर है।

अपना कौन पराया क्या इन बातों में ना जीवन बर्बाद करो,
पानी के बूंद सा जीवन ये,सत्कर्मो में डुबो इसे आबाद करो।

साँसों खेल है पलभर का,बेकार की बातों से आजाद करो।
ज्ञान चहुदिशा में फैलाओ ज्ञान की जंग का आह्लाद करो।

कौन यहाँ रह पाया है रह पाएगा,यहाँ आया सो जाएगा,
अंतर्ज्ञान बन्द चक्षु खोलो,अंतर्मन सबकुछ सिखलायेगा।

जागो नज़रे बदलो,सब कुछ सुंदर है,होगी खूबसूरत भोर,
ऐसी उलझी छोटी की बातों से,मानव का जीवन अंधेर है।

सब समझ का फेर है............................................

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