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रूकुँ तो मंजिले ही मंजिलें चलूँ तो कोई रास्ता नहीकहने को मेरे तलबदार बहुत है पर खास किसी से कोई वास्ता नहीशोर है इक अंदर मेरे कहना चाँहू तो कोई शब्द नहीगहराईयाँ ,तन्हाईयाँ सब मिला मुझेपुछू जिदंगी से कब तक तो कहती है खुशी का अभी वक्त नही -
रूकुँ तो मंजिले ही मंजिलें चलूँ तो कोई रास्ता नहीकहने को मेरे तलबदार बहुत है पर खास किसी से कोई वास्ता नहीशोर है इक अंदर मेरे कहना चाँहू तो कोई शब्द नहीगहराईयाँ ,तन्हाईयाँ सब मिला मुझेपुछू जिदंगी से कब तक तो कहती है खुशी का अभी वक्त नही
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हमने तो बस हर पल को जीना चाहा आँखो में आँसु थे लबों से मुस्कुराना चाहाअब लडते भी तो किस किस सेकमबख्त जिदंगी ने भी जिंदगी भरहमें बस रूलाना ही चाहा -
हमने तो बस हर पल को जीना चाहा आँखो में आँसु थे लबों से मुस्कुराना चाहाअब लडते भी तो किस किस सेकमबख्त जिदंगी ने भी जिंदगी भरहमें बस रूलाना ही चाहा