कल अमावस को, तारों ने जब तमन्ना की कि चांद आए;
मुझे तारों में अपना अक्स, चांद में तू नज़र आया।
किसी ने छेरा जब किस्सा तेरा, तेरी खूबियों की वकालत की;
मुझे हर कदम पर मेरे महबूब, तेरा फरेब नजर आया।
आशियां ढूंढ लिया मैंने तेरे शहर से दूर बहुत,
मगर सूने इस आशियां में, तेरा ख्याल बहुत आया।
काश मैं तुझे सीखा पाती, वफ़ा करना ए हमनवा;
की तू किसी और से बेवफ़ाई का हुनर सीख आया।
यकीनन वक़्त के साथ धुंधला जाएंगी, तेरी तमाम यादें;
फिर ये उलझन, की क्या हो, जो वो वक़्त कभी नहीं आया?
मैंने समझाया कई दफा, इन तारों को कि लौट जाओ;
ये चांद नहीं आयेगा, कि आज तक नहीं आया।
वहां उसी जगह फिज़ा ने हौले से कहा मुझे "ए गमजदा!"
समझाया तो तुझे भी कितनों ने, आज तक तुझे समझ आया?
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