Siddharth Singh  
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Joined 21 December 2016


Joined 21 December 2016
16 FEB 2019 AT 0:26

थम सी गयी थी ज़िंदगी कुछ फ़ुर्सत में चाहता हूँ
आशिक़ था पर अब शहीद हूँ
अपनी माँ की गोद में बस सोना चाहता हूँ

कर्म था मेरा तेरी सेवा करना
शिद्धत से मैंने अपना धर्म निभाया
रिन था तेरा मुझपे कुछ ऐसा
जिसे में अपने प्राणो से भी ना उतार पाया
बस ख़ुशी है इस बात की ऐ माँ
की पहले में तेरा आशिक़ था पर अब शहीद हूँ

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3 FEB 2019 AT 2:50

ख़ामियाँ ना गिन मोहब्बत में,
किसने क्या गुनाह किया,
इश्क़ एक मदहोशि हैं,
तूने भी किया और मैंने भी किया

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31 JAN 2019 AT 23:50

I still fall for that moment when you tighten the grip over my fingers while we are talking through our eyes

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1 OCT 2018 AT 16:37

I like your words
but
I prefer them traced by your tongue on my body and make sure those work too

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3 SEP 2018 AT 12:44

It’s always fun to listen someone’s lie when you already know the truth

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2 SEP 2018 AT 13:06

A Romeo will always remain a Romeo

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25 AUG 2018 AT 18:50

I’ll pour your thoughts into my ink just to get corrupted and I know you’ll love it

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17 AUG 2018 AT 9:23

परमाणु परीक्षण कर पोखरन में
जिसने गीत नया गाया था
पूरे विश्व में जिसने भारत का लोहा मनवाया था
आज वो भारत का लाल चैन की नींद सोया है
भारत माता ने आज अपना एक और लाल खोया है

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27 JUN 2018 AT 20:39

बारिश की बूँदे जो चूमी आज धरा को
मधोशि भरा नज़ारा हमें देखने को मिला
खो गये हम फिर आज अपने बचपन में
जहाँ हमें काग़ज़ की कश्ती का मोल पता चला

बचपन के खेलो में बारिश में खेलना कुछ निराला था
कश्ती डूब जाने पर रोना और पार होने पर नाचना हुआ करता था
वो भी एक मंज़र था जब दोस्तों के साथ बारिश में घूम लिया करते थे
और बारिश के बाद समोसे जलेबी की पार्टी किया करते थे

कही खो गये है हम आज दुनिया की भीड़ में
अब बारिश की बूँदो को खिड़कियों से देखा करते है
ढूँढते है आज भी अपनी काग़ज़ की कश्ती को उन बच्चों में
जो आज भी बारिश में काग़ज़ की कश्ती से खेला करता है

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10 APR 2018 AT 19:03

कुछ शिद्धत थी निगाहो में उनकी
जो उनके गुनाहों को अपने नाम कर लिया
क्यूँकि, कायिनात से हसीन थी वो
और क़यामत सी मोहब्बत थी उनकी

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