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वह घाट है मोक्ष का ,
वहाँ राख मिलेगी अहंकार ,अज्ञान,और लोभ की ,,
एक सत्य है जिससे सिहर जाए रुह भी ,
मिलती है रोशनी वहाँ आत्मा के लव की ,,
चित्कारो में गूंजती वेदना वहाँ ,
करुणा करती अपनों की तलाश भी ,,
मृत्यु है उद्धार स्वर्ग का द्वार भी ,
काया विलुप्त भस्म रूपी में बचता कुछ शेष भी ,,
जल जाती वहाँ मानुष की हर एक जात भी ,
विसर्जित जल में होती फिर माया संसार की ,,
मैं चाहती हूं जाना, है ठहरना मना जहाँ आज भी ,
देखना है सच्चाई थोड़ा और मृत्यु के बाद की...!!
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