शुभम चौबे  
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एक अधूरा लेखक
Joined 14 March 2020


एक अधूरा लेखक
Joined 14 March 2020
18 AUG 2023 AT 20:15

सब कुछ काफी उलझ गया था उसकी जिंदगी में, उसे या तो परिवार को चुनना था या फिर Job के लिए बाहर जाना पड़ता (Work From Home उसकी कंपनी ने खत्म कर दिया था ।)
वो कुछ भी समझ नही पा रहा था की क्या करे क्योंकि उसके गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं था और शहर वो जाना नही चाहता था ।
आखिर में उसने एक शब्द कहा "एक दिन मैं वापस जरूर आऊंगा और वो भी हमेशा के लिए" और शहर जाने वाली बस में बैठ गया ।

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25 JUL 2023 AT 23:26

तेरी यादों के सहारे
भटकते हैं हम मारे - मारे
शहर - शहर, गांव - गांव
यादों में बसाए तेरी आंचल की छांव
मिले तू तो तुझको बताऊंगा
अब जीवन में हर -पल तुझको ही चाहूंगा

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13 FEB 2023 AT 12:58

Andheri raat ki wo chandni ho tum
Jeevan ki meri tazgi ho tum
Ishq beintehan krte hain tumse
Ek baar kehdo aajse meri Patni ho tum

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23 DEC 2021 AT 19:53

एक छोटी हार के लिए कब तक पछताओगे
कोरे खयालों से दिल को कब तक दुखाओगे
हारना एक पड़ाव है कोई जीवन सार नही
जो तुम थोड़ा हिम्मत कर दिखाओगे
मंज़िल को खुद के पैरों तले ही पाओगे

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4 DEC 2021 AT 18:53

ज़माने गुज़र गए तुझको देखे हुए
हम आज भी खुद को तेरे क़ाबिल बनाते रहे
जैसे दरिया के दरिया जो समंदर हो गए
वो आज भी खुद को दरिया पुकारते रहे

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24 NOV 2021 AT 8:52

ये अकारत इश्क़ भी कितना दर्द देता है,
जिसे भूलने की कोशिश करो हर बार उसी का ये दीदार देता है ।

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18 NOV 2021 AT 11:10

भटका सा हूँ मैं मुसाफिर
तेरे दिल का तू ही अब रास्ता बता दे
कोई google या कोई map,
अब काम नही करता
इस मुसाफिर को
तू ही अब मंज़िल तक पहुँचा दे

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13 NOV 2021 AT 19:39

कौन कहता है हम-तुम जुदा हो गए,
मेरे आंसुओं में तुम हर-रोज आते हो ।

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13 NOV 2021 AT 11:32

ये हिज़्र, ये मसाफ़त, ये दूरियां
ग़र इन सब को लिखूँ तो,
एक लफ्ज़ में तेरा नाम लिखूँ ।
और जो तेरा मैं नाम लिखूँ,
तेरे नाम के साथ हर बार मैं इश्क़ लिखूँ ।

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5 NOV 2021 AT 23:30

तुम्हे तो वो किस्सा भी याद ना होगा
जो किस्सा अब कविता बन गया
और बातें तुम मोहब्बत की
यूँ बड़े-बड़े करते हो..

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