Shreya Chandak   (Shreya Chandak)
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Joined 26 March 2024


Joined 26 March 2024
31 MAR AT 11:31

ए मेरे वतन🧿

ए मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ,
हर दिन शुभ है अपना लहराओ तिरंगा प्यारा l
अगर लूटी आजादी तो अपमान सबका है ,
अगर लुटी एक बेटी तो लूट सम्मान सबका है ll

छोड़ो बातें सबकी पहले मिलकर लड़ो दरिंदों से क्योंकि यह हिंदुस्तान सकता है l
मत भूलो सीमा पर वीरों ने प्राण गवाएं हैं ,
कुछ याद उन्हें भी कर लेना जो लौट के घर ना आए ll

मत कहना तीन रंगों का वस्त्र इसे l
यह ध्वज देश की शान है तीन रंगों से रंगा हुआ,
यह देश हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान ll

मैं हिंदू हूं,तू मुस्लिम में हूँ , है दोनों इंसान ,
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूं तू पढ़ ले कुरान l
गुज रहा भारत में भारत का नगाड़ा है ,
चमक रहा आसमान में देश का एक सितारा ll

अपने तो दिल में है यही है अरमान l
बस एक थाली में खाना खाए,
सारा हिंदुस्तान , सारा हिंदुस्तान ll

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31 MAR AT 10:48

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29 MAR AT 12:52

Life isn't about finding yourself
It's all about creating yourself

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28 MAR AT 23:18

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28 MAR AT 22:48

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28 MAR AT 19:17

PAPA🌍

मेरे हिम्मत ,मेरे घमंड है मेरे पापा l
सच कहूं तो मेरा हर अरमान है मेरे पापा ,
शायद इसीलिए मेरे Role model कहलाते हैं पापा l

परेशानियों के बोझ को अकेले ही सहते हैं पापा l
अपने लिए नहीं अपनों के लिए दर्द उठाएं बैठे हैं, शायद इसलिए मेरे role model कहलाते हैं पापा ll

उदास से तो कभी कोई से रहते हैं पापा l
दर्द को छिपा हमारी खुशी के लिए मुस्कुराते हैं,
शायद इसलिए मेरे role model कहलाते हैं पापा ll

कहीं दिखे ना जाए उनका दर्द किसी को l
इस कारण रोज मुस्कुराते हुए दिखाई देते हैं पापा, शायद इसलिए role model कहलाते हैं पापा ll

मेरी हर अच्छी यादों में शामिल है पापा l
मेरे घर की रौनक ,मेरी शान है पापा ,
शायद इसलिए मेरे role model कहलाते हैं पापा ll

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28 MAR AT 18:44

पापा की शेरनी 🧿

पापा की परी है तू ,तू शेरनी ना बन पाएगी
बेटी है तू ,तू कुछ नहीं कर पाएगी
ना तू इस घर की ना तू उस घर की
कि घर का नाम तु कमाएगी
पापा की परी है तू ,तू शेरनी न बन पाएगी
बेटी है तू ,तू कुछ नहीं कर पाएगी
सपने बड़े मत देख तू ,
उसे पूरा कर खुशियां ना दे पाएगी
पापा की परी है तू ,तू शेरनी ने न बन पाएगी
बेटी है तू तू कुछ नहीं कर पाएगी
पर लिखकर भी घर के कामों में ही रह जाएगी
मम्मी पापा का मन रख दूसरे घर बस तु जाएगी
पापा की परी है तू , तू शेरनी ना बन पाएगी
बेटी है तू ,तू कुछ नहीं कर पाएगी
लिखने चली जब मैं कोरे पन्नों पर
तो देखा सहाई खून से लाल थी
ध्यान से देखा तो उसमें बदलाव की दुहाई थी
तभी सोच लिया कि अब कुछ बन कर दिखाऊंगी
हां मैं बेटी हूं पापा का नाम काम आऊंगी
सवार होकर शेर पर मैं दुर्गा बन जाऊंगी इस हैवानियत को खत्म करने , आसमान से उतर आऊंगी एक दिन पापा की पारी नहीं ,मैं शेरनी बन दिखाऊंगी हां मैं बेटी हूं अब बेटी होने की हर जिम्मेदारी निभाएंगे

_SHREYA CHANDAK

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28 MAR AT 18:17

सफलता की उड़ान
पूरे होंगे हर ख्वाब जो तूने देखे हैं अंधेरे में
ना समझ तो वह जो सोते ही नहीं डर से रातों में मंजिल मिल ही जाएगी तुझे एक दिन ही सही
गुमराह तो वह जो घर निकले ही नहीं

मुमकिन है हार जाओगे टूट तुम हजारों बाद जाओगे यह तो अभी शुरुआत है रास्ते ऐसे तुम हजार पाओगे

जिंदगी एक किताब है जिसे हर पात्र नायाब है
गुजरे कल से शिकायत तो कहीं ख्वाहिश बेहिसाब है कहीं बिखरी हुई उम्मीद है तो कहीं टूटे हुए ख्वाब है कहीं उलझी हुई बातें तो कहीं मुस्कुराते हुए याद है

मुमकिन है हार जाओगे टूट तुम हजारों बार जाओगे यह तो अभी शुरुआत है रास्ते ऐसे तुम हजार पाओगे

पीड़ा बहुत खास है अगर पाने की कुछ आश है
तुम यह बस याद रखो साहस अपने साथ रखो
जिंदगी एक किताब है जिसे हर पात्र नायाब है
खुद पर विश्वास करो एक बार और प्रयास करो

मुमकिन है हार जाओगे तो तुम हजारों बार जाओगे यह तो अभी शुरुआत है रास्ते ऐसे तुम हजार पाओगे

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27 MAR AT 12:11

जानना जरूरी है!
Dear me, अब जानना जरूरी है ,
खत्म कर रहे हो बचपन या कोई मिटा रहा है ?
इस्तीफा दे रहे हो बचपने से या ,
कोई तुमको उसे हटा रहा है?

Dear me ,अब जानना जरूरी है,
कुर्बान हो रहे हो या चुने गए हो ?
तुम बचपन से ऐसे ही थे या बने गए हो?

Dear me, अब जानना जरूरी है ,
तुम खुद शामिल हुए भीड़ में या बुलाया गया है?
तुम जले हो या तुम्हें जलाया गया है?

Dear me, अब जानना जरूरीहै ,
बहके हो या बहकाया गया है ?
तुम्हें क्या कुछ समझाया गया है

Dear me, अब जानना जरूरी है,
खत्म कर रहे हो बचपन को या कोई मिटा रहा है? इस्तीफा दे रहे हो बचपने या कोई हटा रहा है?

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27 MAR AT 10:51

मेरा बदलता व्यक्तित्व

धीरे-धीरे समय के साथ चलने लगी हूं,
अब मैं खुद को बदलने लगी हूं ॥
पिंजरे में कैद परिंदे परिंदे सी में ,
अब अनंत आसमान में उड़ने लगी हूं ॥
धीरे-धीरे समय के साथ चलने लगी हूं ,
अब मैं खुद को बदलने लगी हूं॥
होने लगा है परिचय मेरा खुद से ,
ही एक नए व्यक्तित्व में दिखने लगी हूं ॥
धीरे-धीरे समय के साथ चलने लगी हूं ,
अब मैं खुद को बदलने लगी हूं ॥
नहीं कहती क्या अच्छा क्या बुरा लगता है ,
जो जैसा है उसे भाग्य समझने लगी हूं ॥
धीरे-धीरे समय के साथ चलने लगी हूं,
अब मैं खुद को बदलने लगी हूं ॥
गहरी सांझ सी ढलने लगी हूं ,
समझौता की कलमें पढ़ने लगी हूं ॥
धीरे-धीरे समय के साथ चलने लगी हूं,
अब मैं खुद को बदलने लगी हूं ॥
पिंजरे छोड़ सपने अपने बुनने लगी हूं,
हर बात में खुशी अब मैं खोजने लगी हूं ॥
धीरे-धीरे समय के साथ चलने लगी हूं ,
अब मैं खुद को बदलने लगी हूं॥

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