Shivanshu Pandey   (शिवांशु)
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Poet by heart, Engineer by mind,Musician by soul
Joined 30 April 2018


Poet by heart, Engineer by mind,Musician by soul
Joined 30 April 2018
13 MAR AT 6:19

पतझड़ में उजड़े बाग
ठूंठ हुए वो पेड़
बिखरे से इक इक पत्ते
जो अनायास कुचले जाते हैं
मुरझाए वो फूल
जो सींचे थे उन रोज़
पाताल का सीना चीर
इक दिन उसको गिर जाना है
नहीं चाहिए फ़ूल
जो खिलता है खेलता है
अपने आप में पेड़
बिरहा में फिर सूखेगा
पर फिर से फूल खिल जाएगा
ना चाहते भी पेड़
चीरेगा फिर पाताल का सीना
फिर देखेगा फूल
और संग उसके हरियाली
और फिर कर बैठेगा मोह
पतझड़ से टूटी आस
अबके फिर जुड़ जाएगी
और बसंत के रागों में
फिर से लहरा जाएगा

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17 FEB AT 1:50

कहने को तो क़िस्से हज़ार हैं
पर तुझ साथ खामोशी ही जँचती है
मेरे चेहरे की कई मुस्कान के
पहलू में तू ही हंसती हैं
यूँ तो वक़्त हर पहर सितम ढाए मुझपे
तुझसे ना चाहते भी आसक्ति है
प्रेम की नींव त्याग पर
प्रेम की सबसे बड़ी शक्ति है
पहली दफ़ा है तो प्रेम समझ लूँ
पर शायद ये अलग सी भक्ति है

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28 DEC 2023 AT 0:48

उल्फ़त जाये, जफ़ा ना जाये,
मेरी आँखो, मेरी फ़ितरत से वफ़ा ना जाये।
मेरे मरे फूल ख़ुशबूओं के पैग़ाम हों,
या खुदा मेरे गुलशन से कोई ख़फ़ा ना जाये॥

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19 DEC 2023 AT 2:34

A paper a pen a cigrette a breeze
I need it all

A paper a pen a cigrette a breeze
I need it all
To paint your face
Your laughter
The joy we shared
A paper a pen a cigrette a breeze

A paper a pen a cigrette a breeze
I need it all
To paint my stupidity
Making things idol
Forgetting the authenticity of love
A paper a pen a cigrette a breeze

A paper a pen a cigrette a breeze
I need it all
To paint my trauma
My insecurities
My possesion, my obsession
A paper a pen a cigrette a breeze

A paper a pen a cigrette a breeze
I need it all
To paint my love
My responsibilty, my dedication
And how I forget
A paper a pen a cigrette a breeze
When you were in my vicinity
A paper a pen a cigrette a breeze
I need it all
To forget you to forget you to forget you

A paper a pen a cigrette a breeze
I need it all

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10 DEC 2023 AT 22:38

फ़र्क़ बस इतना रहा
तुमने मुझे ज़रूरत में याद किया
और मैंने तुम्हें यादों में ज़रूरी समझा

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10 DEC 2023 AT 22:35

Maine chah k jisko qaboola
Wo khata hai tu
Mere jism o dil jisko manga
Wo dua hai tu
Mere dard e gam ki had ka nama
Wo raza hai tu
Mere dil ke kone
Me dafan jo
Wo saza hai tu

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24 NOV 2023 AT 6:07

मैं अब आप से
कुछ माँगता नहीं हूँ
समझता हूँ अपनी ज़िम्मेदारियाँ
ज़िद नहीं है मुझमें अब
की आप सब ठीक करें
समझता हूँ कि जो है आप से है
बस चाहता हूँ आप को नाज़ हो मुझ पर
की मैं अब आप की ज़िम्मेदारी नहीं
आप मेरी ज़िम्मेदारी हैं
आप का गौरव मेरा गौरव है
हे महादेव
शायद यही सब तो मैं
अपने पिता में देखता हूँ
फ़र्क़ बस इतना है
मैं उनसे छिपकर रो सकता हूँ
आपसे कभी छिप नहीं पाता

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24 NOV 2023 AT 5:24

तुमसे पिरोया हर शब्द
इस नग्म को अधूरा कर देता है

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19 NOV 2023 AT 0:51


लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए ,
उन्हें सुन ना सका।

रेशम की डोर,
थामे तो रखी,
ख़ैर बात और है कुछ बुन ना सका,
लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए,
उन्हें सुन ना सका।

फूल बिछाए लाखों,
राहों में तुम्हारी,
तुम चली उनपर, ख़ैर मैं चुन ना सका,
लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए,
उन्हें सुन ना सका।

लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए,
उन्हें सुन ना सका।

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19 NOV 2023 AT 0:50


लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए ,
उन्हें सुन ना सका।

रेशम की डोर,
थामे तो रखी,
ख़ैर बात और है कुछ बुन ना सका,
लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए,
उन्हें सुन ना सका।

फूल बिछाए लाखों,
राहों में तुम्हारी,
तुम चली उनपर, ख़ैर मैं चुन ना सका,
लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए,
उन्हें सुन ना सका।

लफ़्ज़ जो बयान-ए-अश्क़ हुए,
उन्हें सुन ना सका।

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